समता त्याग की प्रतिमूर्ति जय हो माँ स्वस्ति तुमको मेरा शत शत वन्दामी मुक्तिपथ की तुम अनुगामी जय हो गुरु माँ स्वस्ति आज से 25 वर्ष पूर्व विद्याभूषण एवम त्रिलोक तीर्थ प्रणेता विद्याभूषण सन्मति सागरजी के द्वारा आर्यिका दीक्षा प्रदान की गयी थी
परिचय
आपका गृहस्थ जीवन का नाम संगीता था
माता पिता-
आप मोतीजी पुष्पा जी की बगिया की एक अनुपम मोती थी
बचपन से ही संगीता धार्मिक संस्कारो से ओतप्रोत थी जू ही ये बड़ी हुयी संसार मोह माया से व्याकुल हो उठी
इनके तप त्याग सयम का बखान करते एक लबा समय व्यतीत होगा माँ ने एक पावन तीर्थ एवंम एक अलोकिक प्रतिमा से साक्षातकार करवाया जो स्वस्ति धाम जहाजपुर मुनिसुव्रत नाथ भगवान से प्रसिद्ध है
आपकी शिक्षा MA संस्कृत आप संयम त्याग पद की और अग्रसर होते हुए आपने प्रथम ब्रह्मचर्य व्रत सन 1985 मे 5 वर्ष के लिए आचार्य पुष्पदन्त सागर जी महाराज से ग्रहण किया आप संयम पद पथ पर और अग्रसर होती चली गयी और सन 1991 मे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से 2 वर्ष का पुनः ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण किया वही त्याग पर एक पायदान आगे बढ़ते हुए आपने 1992 मे त्रिलोक तीर्थ प्रणेता आचार्य श्री सन्मति सागर जी महाराज से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लिया औऱ ग्रह त्याग कर दिया वह कहा रुकने वाली थी वह समय आ गया जब नारी का सर्वोत्कृष्ट पद आर्यिका दीक्षा आज से 25 वर्ष पूर्व विद्याभूषण आचार्य सन्मति सागर जी महाराज द्वारा इटावा उत्तरप्रदेश में आर्यिका दीक्षा प्रदान की गयी आपकी विशेष कृति जिनपद पूजाजलि जो काफी चर्चित है आपके द्वारा 80 से अधिक गद्य पद्य व पूजन विधान लिखे जा चुके है यह आपकी अध्यात्म और साधना को परिलक्षित करता है आपके सानिध्य में 25 मंदिर के जिनालयों के प्रतिष्ठा व पंचकल्याण महोत्सव सम्पन्न हो चुके है माताजी स्वकल्याण व परकल्याण की भावना से ओतप्रोत है आपने केंद्रीय जेलो में कैदियो को उदबोधन कर उन्हे अपराध मुक्त रहने की प्रेरणा प्रदान की वही माताजी द्वारा विभिन्न कोचिंग संस्थानो व विद्यालयों के माध्यम से 2लाख से अधिक बच्चो को प्रेरणा दायक उदबोधन भी प्रदान किया है समय समय पर माताजी द्वारा साधना शिविर का भी आयोजन किया जाता रहा है माताजी 30000 किलोमीटर से अधिक पदविहार कर जन जन मे धर्म की महती प्रभावना की है आपने सम्मेदशिखर सिद्ध क्षेत्र की 125 से अधिक वंदना की
एक रिपोर्ट अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी