यह केसी न्याय व्यवस्था है अभी तक दोषियो को फाँसी नही हुई 7 वर्ष से ऊपर हो गए।


पारस जैन " पार्श्वमणि" पत्रकार कोटा (राज)*
*भारत देश में जब यह  समाचार आया कि दिनांक 22 जनवरी  2020 को "निर्भया बलात्कार हत्याकांड" के चारो आरोपियों को फाँसी की सजा दी जाएगी ।तो पूरा देश गणतंत्र  दिवस के पूर्व इस शुभ समाचार से हर्ष मना रहा था। परंतु उसके बाद  अचानक उस फाँसी की सजा पर अस्थाई रोक  लग जाती है और उसे आगे बढ़ा दिया जाता है। यह हमारी सम्पूर्ण न्याय व्यवस्था पर  प्रश्न  चिन्ह है। मुझे पूर्ण भरोसा है जल्दी ही उच्च न्यायालय द्वारा दोषयो को सजा दी जयेगी। आजादी के बाद से अभी तक पूरे भारत मे कितने     बलात्कार ज्यादती हत्याओ       के केश हुवे।  छोटी छोटी मासूम न जाने कितनी बच्चीयों को इसका  शिकार बनाया गया। उसमे  से अभी तक कितनो को फाँसी या 10 - 20  साल की सजा हूँई। इसका पूरा निष्कर्ष जब देखेंगे तो रोंगटे खडे हो जायेगे। नारी पहले भी अबला थी पर आज सबला होकर भी सुरक्षित नही है । मोबाइल इंटरनेट और सोशल मीडिया की वजह से भी तेजी से अपराध बढ़ रहे है।  हैदराबाद पुलिस ने एक नर्स के साथ  बलात्कार कर*
 *उसकी हत्या के चार  आरोपीयो  को सात दिन के भीतर ऐनअंकोउन्टर कर देश को अनुपम उपहार दिया। पूरा देश उनके साथ खड़ा हो गया सभी ने उन पर गर्व किया। खूब सराहना देश मे की गई।* *महिलाओं ने उनका  बहुत सम्मान किया।* 
*यदि उन चारों आरोपियों का हैदराबाद पुलिस ऐनअंकोउन्टर नही करती तो उस नर्स के परिवारजन को भी न्याय के लिए  7 सालों तक अदालतों के चक्कर काटने  होते। बहुत गंभीर सोचनीय, विचारनीय विषय है। हम कहा जा रहे है। यह केसी व्यवस्था है। इसमे सुधार करने की बहुत जल्दी कोशिश करनी पड़ेगी।* 
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