सीएए के समर्थन में बोले पुष्पदंतसागरजी,देश के गद्दारों को सहन नहीं हो रहा यह कानून


सोनकछ-तरुणसागरजी  महाराज का 38वां  संन्यास दिवस (क्षुल्लक दीक्षा) शनिवार पुष्पगिरी तीर्थ पर मनाया गया। इस माैके पर उनके गुरु गणाचार्य पुष्पदंत सागरजी ने कहा,  गणाचार्य पुष्पदंत सागरजी महाराज ने कहा, मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीएए भी कुछ इस तरह ही है, जो देश हित में तो है पर कुछ स्वार्थी और देश हित में न सोचने वाले देश के गद्दारों को सहन नहीं हो रहा है।

उन्हाेंने कहा तरुणसागरजी के कम उम्र में संन्यास के क्रांतिकारी कदम की भांति ही सीएए एक क्रांतिकारी कदम है। अच्छे कार्य की पहले आलोचना होती है फिर वही सराहनीय हो जाता है। तरुणसागरजी को उस समय दीक्षा नहीं देकर समाज का विरोध स्वीकार लेता तो हमें तरुणसागर और कड़वे-प्रवचन का इतिहास नहीं मिलता और आज सरकार सीएए के कदम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले चंद लोगों की ओर ध्यान देती हैं तो फिर हम देशहित के कार्यों से वंचित रह जाएंगे। गुरु के क्षुल्लक दीक्षा दिवस पर शिष्य ने दादागुरु से मुनिदीक्षा देने का निवेदन किया।

इस अवसर पर तरुणसागरजी के एक मात्र शिष्य क्षुल्लक पर्वसागरजी ने कहा, गुरुदेव आपने समाज के विरोध के बावजूद क्रांति का बीज बो सकते हैं तो फिर मेरे अनुरोध पर भी मेरे जीवन की क्रांति का शुभारंभ कीजिये मुझे भी जल्द मुनि दीक्षा दीजिए।

38 वर्ष पहले 13 वर्षीय बालक को दी थी जैन संन्यास दीक्षा :

शनिवार से 38 वर्ष पहले गणाचार्य पुष्पदंतसागरजी ने छत्तीसगढ़ के अकलतरा में 18 जनवरी 1982 को 13 वर्षीय बालक पवन को जैन संन्यास दीक्षा दी थी। जो जैन इतिहास के 2000 वर्ष में पहली घटना थी, जब इतनी कम उम्र के बच्चे को दीक्षा दी। यह भी बताया जाता है, यह एक नई परम्परा की शुरुआत हुई थी, जिसके तहत उस समय पुष्पदंत सागरजी ने समाज, पं. तथा विद्वानों का विरोध भी झेलना पड़ा था। पर उनका वह कदम क्रांति का आगाज सा था जो आगे चलकर देश व दुनिया में वह बालक पवन धर्म की अदभुत क्रांति की मिसाल खड़ी कर गया।

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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