हाथी हाथ में होगा या अकेला ही चलेगा



राजनीतिक - मध्यप्रदेश की राजनीति में हाथी यानी बसपा का इतना दबदबा तो नहीं है लेकिन इस बार सूबे की राजनीति में किंग मेकर की भूमिका में रही है । ग्वालियर - चम्बल अंचल के साथ - साथ विंध्य क्षेत्र में अच्छा खासा वोट बैंक बसपा के पास है ।
हाल ही में मध्यप्रदेश के मुरैना की जौरा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक के निधन के बाद से रिक्त हुई सीट पर भाजपा और कांग्रेस ने रस्साकसी शुरू कर दी है, लेकिन सबका गणित बसपा को लेकर बिगड़ जाता है । यहाँ पर बसपा को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी ने दूसरे नम्बर पर रहकर भाजपा प्रत्याशी और सिटिंग विधायक को टेस्ट नम्बर पर समेटकर रख दिया था,बसपा प्रत्याशी ने 2008 में जीत भी दर्ज की थी ,अब ऐसे में सवाल ये है कि हाथी कांग्रेस के हाथ आकर चुनावी मैदान से बाहर रहेगा या फिर अकेला ही मैदान में दौड़ लगाकर भोपाल तक पहुंचने का प्रयास करेगा,क्योंकि वर्तमान में बसपा कांग्रेस को प्रदेश सरकार चलाने में न केवल समर्थन दे रही है बल्कि इतिहास के पन्नों को पलटकर देखा जाये तो ये भी नज़र आता है कि उपचुनाव में बसपा अपना प्रत्याशी ही नहीं उतारती है ।

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