बूंदी-आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने सोमवार को जिला जैल में कैदियों को प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि देश में कई ऐसे ऋषि मुनि हुए हैं, जिन्होंने अपने जीवन में आचरण और जनकल्याण को स्थान दिया, जो चिंता नहीं, चिंतन करते थे और अपने साथ दूसरों का भी कल्याण करते थे। पर अब पेट भरने की बजाए पेटी भरने की चिंता में इंसान लीक से हट जाता है और अन्याय, अनीति, अत्याचार, बेईमानी का सहारा लेने लगता है। वह पाप का संचय करने लगता है और जेल की हवा खाता है।
उन्होंने कैदियों से कहा कि आपने भी कहीं मान-मर्यादा का उल्लंघन किया होगा, तभी जेल में हैं। हम श्रीराम-श्रीकृष्ण, हनुमान, महावीर का नाम तो लेते हैं, पर काम नाम बदनाम करने का कर जाते हैं। उन्होंने अहंकार छोड़कर मैत्री भाव पर चलने की शिक्षा दी। आचार्य श्री ने कहा कि कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है। प्रवचन के बाद कार्यवाहक जेल उपाधीक्षक लोकाज्जवलसिंह, एडीजे विनोद वाजा ने भी विचार रखे। इस दाैरान आचार्य श्री के समक्ष कई कैदियों ने मांसाहार, नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करने, गलत कार्य नहीं करने का संकल्प लिया। कैदियों को फल भी बांटे गए। प्रवचनसभा में ओमप्रकाश बड़जात्या, राजेंद्र छाबड़ा, सुरेंद्र छाबड़ा, पदम कासलीवाल, लोकेश गोधा, रमेश पाटोदी, समाजबंधु व कार्मिक शामिल रहे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी
