खुद का व्यवहार बदल लो, परिवर्तन नजर आएगा,ज्ञान गंगा महोत्सव में राष्ट्रसंत आचार्यश्री ने कहा

रतलाम-राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर जी महाराज ने तोपखाना चौराहा पर पिता-पुत्री का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि हर व्यक्ति दुनिया के लिए भले ही आदर्श नहीं बने, लेकिन उसे कम से कम अपने परिवार के लिए तो आदर्श बनना चाहिए। परिवार में यदि कोई बेटा कहे कि मैं अपनी माता जैसी पत्नी लाना चाहता हूं और बेटी कहे कि मैं पिता जैसा पति चाहती हूं, तो समझ लेना कि तुम्हारा जीवन सफल हो गया।

तोपखाना चौराहे पर सकल दिगंबर जैन समाज और आचार्य श्री पुलक सागर सेवा समिति रतलाम द्वारा आयोजित ज्ञान गंगा महोत्सव में आचार्यश्री ने कहा तोड़ने के लिए हजारों हाथ कम पड़ते हैं। जोड़ने के लिए दो हाथ ही काफी हैं। दुनिया में धन-दौलत की कोई कीमत नहीं होती, सिर्फ व्यवहार की कीमत होती है इसलिए व्यवहार अच्छा रखिए। यदि घर-परिवार में आपको इज्जत कम मिलती है तो दूसरों से अपेक्षा मत रखो। खुद का व्यवहार बदल लो, परिवर्तन अपने-आप दिखेगा। यदि आपका व्यवहार सबके साथ मधुरता का होगा, तो आपको हर हाल में सम्मान ही सम्मान मिलेगा। धर्मसभा में विशेष रूप से उपस्थित सांसद गुमानसिंह डामोर ने भी विचार रखे। उपस्थित श्रोताओं ने आचार्यश्री के आह्वान पर अनुशासन का परिचय दिया। इसके बाद सांसद डामोर का आचार्यश्री पुलक सागर सेवा समिति रतलाम के अध्यक्ष राजेश जैन, सचिव अभय जैन, कमलेश पापरीवाल सहित सभी पदाधिकारियों ने स्वागत किया।

ज्ञान गंगा महोत्सव का शुभारंभ सम्यक तरंग मंडल की महिलाओं ने मंगलाचरण से किया। जिला जेल रतलाम के जेलर आरआर डांगी व उप जेलर वी बी प्रसाद ने दीप प्रज्ज्वलन किया। पाद प्रक्षालन पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी, जयवंत कोठारी ने तथा भूपेंद्र मोठिया, राजमल नरसिंहपुरा, अनुराग जैन ने शास्त्र भेंट किया।

संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.