विदिशा-मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज और मुनि श्री अरह सागर जी महाराज की मंगल अगवानी 19 फरवरी दिन बुधवार को को सुबह 7 बजे अग्रवाल अकादमी से विहार प्रारंभ होगा और 8 बजे ईदगाह चौराहे पर नगर में विराजमान पंच ऋषिराज उनकी मंगल अगवानी करेंगे।
साथ ही सप्त ऋषी राज के साथ नगर में शोभायात्रा के रुप में नगर की ओर मंगल प्रवेश होगा। इसके पूर्व मंगलवार को मुनि संघ का मंगल विहार मुक्तापुर से प्रातः कालीन वेला में हुआ। सलामतपुर जैन मंदिर के दर्शन कर मुनि संघ की आहार चर्या ढकना चपना गांव में संपन्न हुई। इसमें आहार देने का सौभाग्य सलामतपुर वाले परिवार एवं विदिशा के धर्म प्रेमी श्रावकों को मिला। दोपहर में विहार करते हुए मुनि श्री सांची जैन मंदिर पहुंचे। साथ ही समाज की ओर से सरपंच सुनील जैन ने श्रीफल अर्पित किया। इसके बाद सायं काल शंका समाधान का कार्यक्रम अग्रवाल अकादमी में रखा गया। इसमें विदिशा के गणमान्य नागरिकों एवं समाजजनों ने मुनि श्री से सामाजिक, राजनैतिक एवं धार्मिक प्रश्न कर उन प्रश्नों का उचित समाधान पाया।
प्रत्येक व्यक्ति के पास होता है कोई न कोई गुण
मुनि श्री शेल सागर जी महाराज ने नगर में स्थित श्री शांतिनाथ जिनालय में प्रातः कालीन प्रवचन सभा में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के पास कोई न कोई गुण अवश्य होता है लेकिन हम लोग उनके गुणों को नहीं देखते बल्कि उसके अंदर के दोषों को देखते हैं और उसके दोषों को राई का पहाड़ बनाने से नहीं चूकते। उन्होंने कहा कि पाप कमाने के साधन बहुत हैं लेकिन पाप का फल असीमित है। पुण्य कमाने के असीमित साधन हैं लेकिन पुण्य के फल सीमित हैं। मुनि श्री ने कहा कि आप पाप करने से नहीं डरते लेकिन डरना चाहिए। साथ ही कहा कि यदि मान लीजिए कोई व्यक्ति जल्दी उठकर अंधेरे में ही भगवान का अभिषेक करता है तो वह पाप का अर्जन करता है या पुण्य का? उन्होंने कहा कि सूर्योदय के उपरांत ही अभिषेक करना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप पुण्य का नहीं पाप का अर्जन कर रहे हैं। महाराज श्री ने कहा कि क्रिया का महत्व नहीं है, भावनाओं का महत्व है। हम हमेशा पड़ोसी की ओर ही देखते हैं यदि उसके पास सुख समृद्धि है तो ध्यान रखना उससे जलना मत बल्कि उसके और उन्नति की कामना करना। सभी सुखी होंगे तो आप तो सुखी हो ही जाओगे। इस अवसर पर मुनि श्री प्रसाद सागर,जी मुनि श्री उत्तम सागर,जी मुनि श्री पुराण सागरजी, मुनि श्री शैल सागर जी, मुनि श्रीनिकलंक सागर जी महाराज भी मंचासीन रहे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी
