योगेन्द्र जैन पोहरी-पोहरी नगर में श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र में जैन समाज द्वारा आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि श्री सुव्रत सागर महाराज के पावन सानिध्य में जिसमें विधानाचार्य छोटू भैया जी भोपाल के मार्गदर्शन में श्री 1008 सिद्ध चक्र महा मण्डल विधान का आयोजन चल रहा है। जिसमें सिद्ध भगबान की आराधना जैन समाज द्वारा की जा रही है। सिद्धचक्र महामंडल विधान में 64 और 128 अर्घ समर्पित किए गए । आज विधान में सिद्ध भगबान की आराधना करते हुए 64 और 128 अर्पित किए गए इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालु जनों को मुनि श्री सुव्रत सागर महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि हर एक श्रद्धालु को सिद्धचक्र महामंडल विधान करना चाहिए क्योंकि अंतिम लक्ष्य के रूप में संसारी प्राणी मोक्ष नही पा सकता है। इसलिए सिद्धों की आराधना के बिना मोक्ष का लक्ष्य सिद्ध नहीं हो सकता। मुनि श्री ने एक कथा के माध्यम से उपस्थित धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया कि भक्ति का फल सांसारिक विषयों में ना लगाएं नही उनकी अपेक्षा रखें क्योंकि यह विधान तो वह विधान है जिसके माध्यम से अनंत कालीन सुख की प्राप्ति हो सकती है इससे अनन्त फलों की प्राप्ति की मांग करना यह उचित नहीं होगा ।
अगर मांग रखना है तो आत्मिक सुख संपत्ति की मांग रखें अगर ऐसा करते हैं तो सांसारिक संपत्ति अपने आप प्राप्त हो जाएगी
आज समर्पित अर्घ्य में 64 रिद्धि के अर्घ्य अपने आप में बहुत महत्व रखते हैं इस अर्घ्य में माध्यम से दिगम्बर साधु में पाई जाने वाली तपस्या के द्वारा विशेष शक्तियों का वर्णन किया गया है साधु अपनी साधनों से या तपस्या के प्रभाव से बहुत सारी शक्तियां प्रकट हो जाती हैं जिनका उपयोग या तो करते नहीं या करते है तो विश्व कल्याण के लिए कर सकते हैं परंतु जैन साधक इसका प्रयोग नहीं करता यहां तक कि इनकी अपेक्षा भी नहीं रखता।
साथ साथ में कर्मों का आश्रय कैसे होता है इसको रोकने की विधि भी आज के अर्घ्य में बताई गई है मुनि श्री ने कहा कि श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान मोक्ष ही नही साथ-साथ संसार में जीने की कला भी सिखाता है।
इस दौरान भक्ति भाव से संगीतकार प्रदीप जैन एंड पार्टी के मुंधर भजनों पर भक्त झूमने पर मजबूर हो रहे हैं
शाम कालीन बेला में महाआरती का आयोजन किया जा रहा है महा आरती करने का शोभग्य वीरेंद्र जैन बैंक वालो को प्राप्त हुआ ।

