इंदौर-आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने उदासीन आश्रम में प्रवचनों में कहा- अपने आपको पाने के लिए हमें प्रयोग करना होगा। प्रत्येक आत्मा में परमात्मा है। अंदर सिर्फ हड्डी का ढांचा है और ऊपर सिर्फ चर्म है, जिसका आप फोटो भी लेते हैं। हमें इस बात पर घमंड होता है कि ये मेरा है और ये मैं हूं। मैं के साथ ये चमड़ा जुड़ा हुआ है ओर उसके लिए क्या-क्या किया जा रहा है। अंत में तो डोला ही उठना है, राम नाम सत्य ही होना है। आप जब तक जीवित हो तब तक राम के पुरुषार्थ को पहचानने का प्रयास करो। रामजी भी यही कहते थे कि तुम भी अपने आप को देखने का प्रयास करो। जब तक हम ज्ञान और अनुभव में भेद नहीं करेंगे, उसका अंतर नहीं समझेंगे तब तक हम ज्ञान में अज्ञान का अनुभव करेंगे। आवाज आपको आती हो तो समझ आ जाता है कि किसकी आवाज है। सुगंध का पता लगाना मुश्किल रहता है। हिरण अपनी नाभि में से उस सुगंध का पता नहीं लगा सकता।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी