जिनकी वाणी को सुनते को आतुर हर जन जन एक टक
वह है आचार्य पुलक
जिनकी एक झलक देखने को तरसते है पलक
उत्तर से दक्षिण पूर्व से पश्चिम तक
एक ही आवाज़ जय हो आचार्य पुलक
एक परिचय बालक पारस से आचार्य पुलक सागर जी महाराज का
एक दिव्य आत्मा का जन्म, छत्तीसगढ़ के एक बहुत छोटे लेकिन सौभाग्यशाली, धमतरी गाँव में हुआ था; यह आत्मा कोई और नहीं बल्कि मुनि पुलक सागर जी महाराज थे। उनके जन्म से श्री के घर में सुख, धन, सम्मान और शांति आई। भीकमचंद जी और श्रीमती। इस बच्चे के माता-पिता गोपी बाई जैन। दीक्षा से पहले उनका नाम उनकी आत्मा, पारस यानि पवित्रा की तरह था। जैन धर्म के इस सच्चे अनुयायी और भगवान पारसनाथ के भक्त ने मानव जाति की सेवा की और जैन धर्म का प्रचार किया
छत्तीसगढ़ के एक धार्मिक जैन परिवार, जिन्होंने अपना जीवन जैन धर्म का पालन करने के लिए दिल से समर्पण और भक्ति के साथ बिताया, को 11 मई 1970 को पारस नाम के एक बच्चे का आशीर्वाद मिला। पूरा परिवार इस असाधारण बच्चे के जन्म का जश्न मना रहा था। जैन तीर्थ, जैन मंदिरों में भगवान का धन्यवाद करने के लिए परिवार द्वारा दौरा किया गया। श्री भीकम चंद जी पारस के भविष्य के बारे में जानने के लिए पारिवारिक पंडित से मिलने गए। वह पारस के भविष्य पर एक नज़र रखने के लिए अभिभूत था, और उन्हे बताया गया कि पारस एक साधारण बच्चा नहीं है और वह एक महान संत होगा, जो अध्यात्म का प्रकाश दिखाएगा।
आपने संयम पथ की और कदम रखते हुये 27 जनवरी 1993 को आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत 27 जनवरी 1993 को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से लिया आप तप त्याग संयम की और बढ़ चले संयोग ही कहा जायेगा 27 जनवरी 1994 को आपको ग्वालियर मे आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज द्वारा ऐलक दीक्षा प्रदान की शिक्षा से BA यह बालक पारस आज सम्पूर्ण विश्व को पुलकित कर रहा है
सन 1995 मे हुयी मुनि दीक्षा
11 DEC 1995 का वह पावन दिन उत्तर प्रदेश का वह पावन शहर कानपुर एक इतिहास को जन्म देने वाला था जब आपको आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज द्वारा आपको मुनि दीक्षा प्रदान की गयी और मुनि श्री 108 पुलक सागर जी महाराज नाम दिया गया
वर्ष 2019 मे आचार्य पद से विभूषित हुये
30 NOV 2019 का पावन दिन जब पुष्पगिरी तीर्थ पर आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज द्वारा आपको आचार्य पद से विभूषित किया
जैन धर्म के ही नहीं अपितु विश्व धर्म के संत
आचार्य श्री की वाणी जन जन को झकझोर देती है और नैतिकता का संदेश देती है यही कारण है की आप जैन धर्म के नहीं विश्व धर्म के संत है
मंगल कामना
यह 50 वा अवतरण दिवस सचमुच पावन दिवस है हम तो कामना करते है गुरुवर आप शतायु हो आपका रत्नत्रय और व्रद्धिगत हो
शत शत नमोस्तु
अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी