विकट परिस्थिति में अज्ञानी बिखर जाता है, ज्ञानी निखरता है : आचार्य

बांसवाड़ा ,-कॉमर्शियल कॉलोनी के संत भवन में आचार्य अनुभव सागरजी महाराज ने  अपने प्रवचनों में बताया कि अकेलेपन और एकांत में जमीन और आसमान सा अंतर  होता है। वस्तु के अभाव से होने वाली मानसिक व्यग्रता अकेलापन है। जबकि  पदार्थों के बीच रहते हुए भी उनके राग से मुक्त रह जाना एकांत है। आचार्य  ने कहा विकट परिस्थितियां बहुत कष्टदाय रहती है लेकिन अज्ञानी कष्ट में  परेशानियों मे  बिखर जाता है। लेकिन ज्ञानी विपरित परिस्थिति में ओर भी  निखर जाता है। रास्ते में पड़े हुए पत्थर हमारी मानसिकता के अनुसार अवरोध का  काम भी कर सकते हैं। आचार्य ने प्रभु राम का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रभु  राम बरसों वन में गमन प्रवास करते रहे लेकिन उनके चेहरे की प्रसन्नता कष्ट  के समय भी उनका धैर्य उनकी निश्छल ख्याति का निर्मित बना है।
               संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

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