बांसवाड़ा-मोहन कॉलोनी स्थित आचार्य पुलक सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन के माध्यम से बताया कि महाविनाश की आशंका से केवल अहिंसा ही बचा सकती है। अहिंसा का अर्थ कायरता नहीं, वीरता है। महावीर की अहिंसा क्षत्रिय की अहिंसा है। यह किसी कायर की नहीं। अहिंसा का यह अर्थ नहीं कि कोई शत्रु तुम्हारा सिर काटने को आए और तुम सिर झुकाकर बैठ जाओ। गृहस्थ जीवन में विरोधी हिंसा का त्याग नहीं है। आचार्यजी ने कहा कि अपने परिवार की रक्षा करना, अपने धर्म की रक्षा के लिए हथियार उठाना पड़े तो तुम्हे इसकी आज्ञा है। अगर हमारे देश पर कोई आक्रमण करता है, हमला करता है तो इसके विरोध में खड़े रहने की आज्ञा धर्म देता है। जीवन में संकल्प ही त्याग होता है। आचार्य जी ने कहा कि जीवन में केवल हिंसा का त्याग होता है, करुणा की पराकाष्ठा है आज देश में जो हिंसा का दौर शुरू हुआ है वह खतरनाक संकेत है। कोरोना की महामारी फैल रही है, विशाखापट्टनम में एक घटना इसी समय हो गई हजारों लोग जहां जहरीली गैस के शिकार बने गए 10 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई। मानवता सड़कों पर कार्य करते रहें और दूसरी तरफ सीमा पर गोलीबारी जारी है। सैनिक शहीद हो रहे हैं। चारों तरफ देश पर संकट आ गया है। आचार्यजी ने कहा कि लोगों को भविष्य की चिंता नहीं करके वर्तमान को सुधारने का प्रयास किया जाना चाहिए। आचार्य जी ने कहा कि भगवान महावीर ने धर्म को युवाओं से जुड़ा युवा शक्ति को जाग्रत होने का वक्त है, ताकि हम इन संकटों के बादल को इस देश से दूर कर सकें। कुरुक्षेत्र में जो महाभारत पुराना हो गया, लेकिन आज भी मनुष्य के मन में ऐसा भयंकर महाभारत चल रहा है। दुराचार का दुश्सान आस्था की पंचाली को पारित कर रहा है। क्षमता की गांधारी नेत्रवती होते हुए भी जीने का संकल्प लेकर बैठी है। आचार्य जी ने कहा कि महाभारत कुरुक्षेत्र में जो महाभारत हुआ 18 दिन तक चला। उस में लाखों लोग मारे गए। रामायण का युद्ध 6 महीने चला। जिसमें हजारों लोग मारे गए। अब पूरी मानवता का शिकार हो रही है। विश्व की महाशक्ति अमेरिका और रूस ने विनाशक सामग्री तैयार कर ली है जो दुनिया को 40 बार भी धवस्त कर सकती है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी