पुष्पगिरी-शराब से अर्थव्यवस्था सुधरे न सुधरे, लेकिन मानसिक व्यवस्था जरूर विकृत होती है। साथ ही चरित्रहीनता भी प्रकट होती है। सरकार ने मंदिर खुलवाने के बजाय मदिरालय खुलवा दिए जो संस्कृति की सभ्यता को तार-तार कर रहे हैं।
यह बात पुष्पगिरि तीर्थ के प्रणेता गणाचार्य पुष्पदंतसागर महाराज ने कही। वे कोरोना महामारी के संकट के निवारण के लिए प्रतिदिन 12 से16 घंटे मंत्र साधना के 44वें दिन मौन खोलने के बाद बाेल रहे थे। उन्हाेंने कहा कि मेरी विश्व व कोरोना के विष से शांति तक मंत्र साधना निरंतर चलती रहेगी। गणाचार्य ने यह भी कहा कि जिन लोगों के लिए दाे समय के भोजन की व्यवस्था सरकार व सामाजिक संस्थाएं जुटा रही थीं उन्हीं लोगों के पास लाइन में लगकर शराब लेने के रुपए कहां से आ गए। स्मरण रखना अर्थ की आशा अनर्थ ही करती है। शराब का नशा मानसिक अवस्था बिगाड़ता है और धन का नशा धर्म का ही नाश कर देता है। इतिहास साक्षी है कि द्वारिका के पतन का कारण शराब ही थी। शराब के कारण ही द्वारिका का विनाश हुआ था। जीवन और देश धन से नहीं धर्म से सुधरता है। यह बात जरूर है कि धन भौतिक व्यवस्था दे सकता है, लेकिन जीवन की शांति धर्म से ही है। धर्म ही जीवन को अमरता व शांति देता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी