सागर-जो रोज कमाते खाते थे उनके बारे में सोचो। आप अंदर से इस दौर में मजबूत बनें और परिवार को समय दें। धर्म करें। यह त्रासदी जल्द ही विदा हो इसके लिए ईश्वर से प्रार्थना करें। यह बात भाग्योदय में विराजमान मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज ने ऑनलाइन प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि यदि आप सकारात्मक व्याख्या करेंगे तो सहज भाव से सोचना होगा। जीवन में कोई परिस्थिति प्रतिकूल है तो उसकी व्याख्या कर इस स्थिति को अनुकूल बना सकते हैं। लोग सोच रहे हैं अब व्यापार का क्या होगा? तो जो सबका होगा वह मेरा होगा। दुनिया में बहुत लोग ऐसे भी हैं जो बड़े कर्जदार हैं। दुख में हैं आपको दुख में सुख खोजना होगा। दृष्टिकोण बदलो तो सब ठीक हो जाएगा। इस दिमागी भूत को अपनी कार्यक्षमता पर हावी नहीं होने देना चाहिए। मुनिश्री ने कहा जो दुष्ट है उसमें भी देवता का दर्शन हो सकता है, बस आपको दृष्टिकोण बदलना होगा। देखने की कला अपने भीतर विकसित करना होगी। यदि आपकी सोच नेगेटिव है तो आपको गलत दिखेगा और नतीजा सही चाहते हो तो सोच बदलना होगी। चीजों को नजरअंदाज करना सीखिए। मुनि श्री ने कहा जिन प्रसंगों से मन की शांति खंडित होती है उसे नजरअंदाज करो। इग्नोर करना सीखो और कहो हो जाने दो। दुकान में जब कोई ग्राहक कड़वा बोलता है तो हम उसे इग्नोर करते हैं। इसलिए कि ग्राहक नाराज न हो जाए। चला न जाए। इसी प्रकार हम घर परिवार और मित्रों की चार बातें सुन सकते हैं। इससे जीवन की सलामती है। इंसान बांकी जगह तो सह लेता है लेकिन निजी जीवन में नहीं करता है। हंस कर टाल देना सीखो। सामने वाला पानी पानी हो जाएगा। ऐसी बातों को पचाने की क्षमता होना चाहिए। कितनों का मुंह आप बंद कराओगे जिनको बोलना है वह बोले प्रतिक्रिया नहीं करोगे तो सामने वाला ज्यादा परेशान होगा वह हमारा प्रचार ही तो कर रहा है। हमें उस जगह देखना ही नहीं इसमें आनंद है। लोग साधुओं को नहीं छोड़ते हैं, आप सोचिए थोड़े दिन की बात है सब ठीक हो जाएगा यह मंत्र संत देते हैं।
मुनिश्री ने कहा दुख है थोड़े दिन के लिए आया है। सुख भी थोड़े दिन की बात होती है। मन में धीरज रखना सीखना होगा, ताकत के बल पर जिएं। जीवन में कितनी विषमताएं हों तो भी जीवन में समता बनी रहेगी। आज यदि आपका अच्छा है कल खराब भी हो सकता है और कल की चिंता करने वाले लोग इस संसार में ज्यादा हैं। आप आशावादी बनिए और जो आशावादी हैं वे संघर्ष करते हैं। आशा के दीप को बुझने नहीं देते हैं। उन्होंने एक उदाहरण दिया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन जीवन में पार्षद से लेकर उपराष्ट्रपति तक के 22 चुनाव हारे थे लेकिन संघर्ष उन्होंने कभी नहीं छोड़ा और अंत में अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने कहा जो हताशा से भरे होते हैं वे हार जाते हैं। आज खराब हुआ है कल ठीक हो जाएगा यह सोच सोचने वाले कभी हारते नहीं है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीयारामगंजमंडी