राजनीतिक : खेल हो या फिर सियासत,हर क्षेत्र में योद्धा मजबूत होना चाहिए , इसी बात को ध्यान में रखकर आने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल धाकड़ प्रत्याशी की तलाश में है जो अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को पटकनी देकर भोपाल तक का सफ़र कर सके,इसके लिए पार्टियां अपने स्तर पर सर्वे भी करा रही है ।
कांग्रेस के पास अब नेताओं की कमी है तो भाजपा महाराज के वचनों में बंधी है,जो भाजपा पानी पी पी कर माफ करो महाराज! कहकर कांग्रेस और सिंधिया को घेरती रही आज वहीं भाजपा महाराज के वचनों में बंधकर अपने कार्यकर्ता को टिकिट नहीं दे पा रही है । प्रत्याशी मजबूत यानी एकदम धाकड़ (मजबूत ) हो जो सबको साधकर चक्रव्यूह हो तोड़ विजयश्री प्राप्त कर सके । भाजपा को अपने दावेदारों से भितरघात का डर सता रहा है,सूत्रों की मानें तो भाजपा के एक बड़े नेता के कांग्रेस का हाथ थामने कि खबर भी मिल रही है लेकिन वो भी टिकिट की शर्त पर । कांग्रेस में टिकिट प्रदेश अध्यक्ष के हिसाब से तय होगा क्योंकि क्षेत्र में सिंधिया के जाने के बाद किसकी चलेगी अभी तय नहीं है । वहीं दूसरी तरफ भाजपा में पहले यशोधरा राजे सिंधिया,नरेंद्र सिंह तोमर के कहने पर टिकिट तय होता था तो अब महाराज को भी तवज्जों देनी होगी । ज्योतिरादित्य सिंधिया निवर्तमान विधायक सुरेश धाकड़ की पैरवी करेंगे यदि बात करे तो इस्तीफा के बाद सुरेश राठखेड़ा का टिकिट पका है सिंधिया के अच्छे समर्थकों में एक माने जाते है तो यशोधरा राजे सिंधिया पूर्व विधायक प्रहलाद भारती के लिए,संगठन की ओर से पूर्व विधायक नरेंद्र बिरथरे का नाम भी बढ़ाया जा सकता है,तो तोमर का आशीर्वाद किसे मिलेगा ये अभी तय नहीं है,वे शिवराज सिंह चौहान के साथ विचार विमर्श करके समर्थन करेंगे,हालांकि राजनीतिक गलियारों में तोमर की ओर से डॉ सलोनी सिंह धाकड़ के नाम पर विचार करने के लिए भाजपा आलाकमान को दिया जा सकता है ।
वही बात करे तो कांग्रेस में धाकड़ प्रत्यासी की कमी नही है जनपद अध्यक्ष प्रधुम्न सिंह ,किसान मोर्चा के प्रदेश सचिव आनन्द धाकड़,युवा नेता अरविंद दुल्हारा वही शिशुपाल धाकड़ का नाम भी कांग्रेस की टिकिट की लिस्ट में आ सकता है