पारस जैन " पार्श्वमणि" पत्रकार कोटा*
*भारत वर्ष धर्म आस्था और संस्कार प्रधान देश है।यहाँ संस्कृति संस्कारो ओर साधना की पूजा होती है आज सम्पूर्ण भारत वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में चल रहा है। इसके अंतर्गत कुल 56 दिन का लोग डाउन घोषित हुआ। जनता परेशान है कोरोना का कहर थम नही रहा है ऐसे में 41 दिन बाद अचानक 4 मई 2020 से मदिरायल के ठेके शुरू कर दिए गए। यह बहुत बड़ी विडम्बना है ।41 दिन शराब नही पीकर लोगो ने दिखा दिया कि वो शराब के बिना रह सकते है परन्तु सरकार ने मदिरायल के ठेले खोलकर यह बता दिया कि सरकार शराब के बिना नही चल सकती है। यह एक कड़वा सच है ।शराब बिक्री के समय सोशल डिसटेनसिंग की धज्जिया भी उड़ रही है। यह बहुत बड़ी विडम्बना है आज सम्पूर्ण भारत वर्ष के मंदिर धर्म आयतन बन्द और मदिरायल खुले हुवे है। सरकार ने जिस प्रकार शराब बेचने की अनुमति दी है ठीक उसी प्रकार से जितने भी मंदिर धर्म आयतन है खोंलने की अनुमति शर्तों के साथ दे देना चाहिए। मंदिर में दर्शन करने के लिए भीड़ नही करे सॉशल डिसटेनसिंग से पूजा भक्ति करे।विशेष आयोजन में दूरी बनाए रखे।मंदिर समितिया कमेटियां इसके लिए निर्देशन बना दे। शराब के ठेके खुलने से अपराध बहुत तेजी से बढेगे। जिन घरों के लोग शराब का सेवन करते है उन घरों की महिलाओं को भी बहुत विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। यह वास्तव में बहुत बड़ी विडम्बना ही कही जाएगी ।मुझे वो लाइने याद आ रही है कि राम राज में घी था कृष्ण राज में दूध कलयुग में दारू है सोच समझ कर पी। जब भी इतिहास खोला जाएगा तब लोग पड़ेंगे की भरत के भारत मे चीन के वायरस कोरोना महामारी के समय लॉक डाउन में 41 दिन बाद मंदिर धर्म आयतन बन्द थे और मदिरालय खुले हुवे थे। यह कलयुग की ही बलिहारी है ।भारतीय संस्कृति और उसके मूल्यों पर कुठाराघात है।*
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