सागर -अहंकार के कारण व्यक्ति सारी अच्छाइयां भूल जाता है और स्वयं की कमी, दोषों और दुर्बलताओं को स्वीकार नहीं करता और उसका व्यक्तित्व अपूर्ण रह जाता है। यह सब अहंकार के कारण होता है। यह बात मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज ने भाग्योदय तीर्थ से लाइव प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि भाव से मुक्ति है, बंधन है सुख और दुख है। भाव का प्रवाह पल पल बदलता रहता है जैसे पताका लहराती रहती है वैसा ही हमारा मन हमेशा ऊपर नीचे, इधर-उधर होता रहता है। हवा जब ज्यादा आती है तो पताका ज्यादा फड़फड़ाती है इसी प्रकार निमित्त से प्रभावित होकर हमारा मन भी रंग बदलने लगता है। मन को संभालने और संभारने की आवश्यकता है। भाव दशा का आकलन आपको स्वयं करना चाहिए। इच्छा के बिना भाव धारा में सुधार नहीं होता है। इसके लिए आपको स्वयं संकल्प लेना होगा और प्रयत्न करना होगा। अपने आप को पहचानने का प्रयास करो। मनुष्य की असलियत को बताने वाले लोग कम होते हैं और हां में हां मिलाने बाद लोगों की संख्या इन दिनों ज्यादा ही है।
मुनिश्री ने कहा अपनी चेतना को गठित कर आगे बढ़ो, आपका जीवन बदल जाएगा। शुक्ल लेश्या जो धारण करता है वह कभी पक्षपात नहीं करता। जबकि ज्यादातर लोग पक्षपात करते हैं। यह अहंकार और आसक्ति के कारण होता है।आपके साथ कोई पक्षपातपूर्ण व्यवहार करे तो आपको नहीं सुहाता है इसी प्रकार आपका पक्षपात रवैया भी दूसरों को नहीं सुहाता है। मुनि श्री ने कहा तमीज किससे सीखी, बदतमीजी से सीखी। उनका व्यवहार देखा ऐसा नहीं करना चाहिए तो तमीज सीख ली। यह जीवन का रूपांतरण है। मेरी गलती मजबूरी है सामने वाले की गलती भी मजबूरी होना चाहिए पक्षपात कई रूपों में होता है।
गलत कार्यों में बच्चों का दोष छुपाने का प्रयास किया तो वह आपको ही नुकसान देगा
मुनि श्री ने कहा कहा कि शिक्षक की थोड़ी सी समझदारी से बच्चे का कॅरिअर संभल जाता है और वह मेहनत और लगन से पढ़ाई करता है। पक्षपात से बचो। आशक्ति और अहंकार होगा तो पक्षपात निश्चित रूप से होगा। निष्पक्ष प्रवृत्ति के लोग हमेशा अपने बच्चे को सुधारने के लिए दूसरों से तक कह देते हैं इसको इतना मारो कि हमेशा इसे याद रहे यह कार्य नहीं करना है। यदि गलत कार्यों में बच्चों का दोष छुपाने का प्रयास किया तो वह आपको नुकसान हो जाएगा बच्चे का जीवन भी उसी तरह का हो जाएगा।
क्षमता बालों का नजरिया हमेशा सकारात्मक होता है
मुनिश्री ने कहा पक्षपात के कारण घरों में भी फूट हो जाती है और ऐसे लोग कहीं के नहीं रहते हैं। यह सब अविश्वास के चलते होता है। जीवन में दो तरह के लोग होते हैं एक जो हर पल समता में रहते है और बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो बात-बात में प्रतिक्रिया देते हैं। क्षमता बालों का नजरिया हमेशा सकारात्मक होता है। बहुत कम लोग होते हैं जिनमें धैर्य कम होता है। समता में समाधान है और आकुलता में दुख है। मुनिश्री ने कहा की बाल अवस्था में दिए गए संस्कार जीवन भर काम आते हैं भावी जीवन की निर्बलता के काम आते हैं। गीली मिट्टी को हम चाहे जैसे रूप में ढाल सकते हैं जीवन की नींव को यह बहुत मजबूत बनाता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी