योगेन्द्र जैन पोहरी। पहले से लेकर चौथे लॉकडाउन तक पान मसाला व गुटखा पूरी तरह प्रतिबंधित था, अब हालात बिलकुल अलग है दुकानदारों को बिक्री की परमिशन क्या मिली दुकानदार जमकर कालाबाजारी पर उतारू हो गए हैं। प्रशासन और खाद्य विभाग की अनदेखी कहें या जानबूझकर मौन साधना, कारण कुछ भी हो, लेकिन पोहरी कस्बे में तो पान मसाला के दो थोक बिक्रेताओं द्वारा लाखों के बारे न्यारे किए जा रहे हैं। एक तरह से पुलिस व प्रशासन की नाक के नीचे करोड़ों रुपए का ये धंधा चल रहा है। इस धंधे से जुड़े लोगों ने चोर रास्ते व ठिकाने तक बना लिए हैं। कुछ लोग रास्तों में हाथ में थैले लिए खड़े मिल जाएंगे। ये धंधा करने वाले व दूसरे भी इनसे खरीद कर होम डिलीवरी तक कर रहे हैं। ये स्थिति केवल शहर तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि गावों-कस्बों तक ये कालाबाजारी हो रही है। कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में कई नए लोग भी इसमें जुड़ गए हैं। जिन लोगों को इन गुटखा, पान मसाला की लत है वह मुंह मांगा दाम देने को विवश बने हुए हैं। सबसे बड़ी बात, चूंकि ये सब कालाबाजारी में हो रहा है तो बिल का झंझट भी इन थोक विक्रेताओं का नहीं रहता। इस तरह के सरकार को भी करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है।
जो जानकारी समाने आ रही है कि पोहरी में राजश्री व विमल गुटखा के डीलरो ने माला की कमी बताते हुए दूसरे रास्ते से ब्लेक में गुटखा बिक रहे है अभी कुछ दिन पूर्व लॉक डाउन की झूठी अफवाह उड़कर इन गुटखा डीलरो ने लाखों के बारे न्यारे कर लिया है लेकिन जिम्मेंदार अधिकारी शांत बैठे हुए है जबकि ब्लैक का काला खेल पोहरी सहित आस पास के ग्रामीण क्षेत्र में जारी है