पारसनाथ-बीस तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखरजी जो प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जहां देश ही नही विदेशों से भी लोग आते हैं और यहां के निर्वाण भूमि पर अपना माथा टेक खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। कहा जाता है मधुबन पारसनाथ का कण-कण पवित्र है वो इसलिए कि इस भूमि से जैन धर्म के बीस तीर्थंकर समेत करोड़ों करोड़ मुनि महाराज जप तप ध्यान में लीन रहते हुए मोक्ष को प्राप्त हुए हैं। ऐसे में किस स्थान से कौन मुनि मोक्ष गए हो इसे कोई नही जानता इसलिए इस भूमि का हर हिस्सा को पवित्र माना गया है। परंतु कोरोना वायरस की वजह हुए वैश्विक महामारी ने तो मधुबन पारसनाथ की पवित्रता सुंदरता व भव्यता को देखते ही देखते निगल गया। पारसनाथ मधुबन जो विश्व के मानक पटल पर अपनी अलग ही पहचान बनाए बैठा था ऐसे पर्यटक स्थल के साथ साथ देश के कई तीर्थ स्थलों के लिए अभिशाप साबित हो रहा।पारसनाथ पर्वत का वंदना पथ जो कभी भगवान के जयकारों से गूंज उठता था पिछले तीन महीनों से पर्वत के वंदना पथ में सन्नाटा पसरा हुआ है। कोविड 19 के बढ़ते लॉक डाउन ने मधुबन पारसनाथ की सुंदरता व भव्यता पर ग्रहण लगा दिया है। कभी तीर्थ यात्रियों के वजह से गुलजार रहने वाला मधुबन पारसनाथ की पवित्र भूमि देखते ही देखते वीरान हो गया।पर्वत के वंदना पथ में जहां दर्जनों दुकानें हुआ करती थी, आज सब के सब बन्द पड़े हुए हैं।तीर्थयात्री ही नही तो दुकान कहां आज यात्रियों का बाट जोह रहे हैं।पर्वत से ले कर मधुबन तक के सफेद संगमरमर से निर्मित जैन मंदिर स्थित भगवान भी आश्चर्य में हैं कभी पूजन भजन आरती से गूंजने वाला मंदिर में आज दिन बीत जाता है परंतु मंदिर का घंटी भी बजाने वाले कोई नही पहुंचते हैं।
मधुबन जहां प्रवेश करते ही भक्ति पूजा-पाठ आरती आदि से आत्मा भक्तिमय हो जाता था आज मधुबन के चारो ओर मातम सा छाया हुआ है।
संकलन अभिषेक जैन लूहाडीया रामगंजमंडी
