पुष्पगिरी-क्षुल्लक श्री पर्व सागर जी महाराज ने मार्मिक उद्गार प्रकट करते हुए कहा की
यह संसार की दशा तो समझ के भी परे होती जा रही है। केरला में एक हथिनी को अन्नानास के अंदर विस्फोटक सामग्री खिला दी, जिसका असल उदेश्य तो मात्र जंगली सूअर को पकड़ने के लिये किया गया था वह गर्भवती थी, जो उसके पेट में नवजात शिशु था उसकी भी निर्मम हत्या हो गई, लेकिन वह एक भूलवश थी। क्योंकि असल निशाने पर तो जंगली सूअर था। हाथी को अपनी जान गवानी पड़ी, ताकि वो और दूसरे जीवों की जीवन के ऊपर के खतरे को दर्शा सके। आखिर किस तरीके से अमानवीय कार्य हो रहे हैं।
हम क्यों इतने ज्यादा अपने स्तर से गिर गए
पुष्पगिरि तीर्थ पर क्षुल्लक पर्वसागरजी महाराज ने कहा कि निर्ममता और निर्दयता की हर सीमा लांघ दी गई है। लोग उस हाथी के मरने पर बहुत आहत हुए हैं पर वो ही लोग यह नहीं ड्रश्य कर पा रहे हैं कि उस जंगली सूअर और हर प्राणी की अंदर भी प्राण है। हम क्यों इतने ज्यादा अपने स्तर से गिर गए जो हमें पावन प्रभु की दी हुई इतनी वनस्पति स्वीकार्य नहीं और हमें दूसरे के प्राण लेकर अपना पेट भरना पड़ रहा है। हम मनुष्य होकर भी ये भूल गए कि हर जीव और हर प्राणी मात्र में भी हमारी ही भांति जान है और हम अपने उपयोग अनुसार हत्या करने से भी भयभीत नहीं होते हैं। भूख प्यास सहजे हैं। खाने की खोज भी बिल्कुल सही है, लेकिन इतनी खाद्य सामग्री वनस्पति के बाद भी हम प्राणियों की हिंसा करें यह बिल्कुल न्यायोचित नहीं है
संकलन अभिषेक जैन लूहाडीया रामगंजमंडी
