बांसवाड़ा- आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा क्रोध के समय 2 मिनट का लिया फैसला युग जीवन तबाह कर सकता है। अब पहले यह विचार करो कि आखिर क्रोध आता क्योहै? ,जब जब अपेक्षा की उपेक्षा होती है तो क्रोध का जन्म होता है तुम किसी से क्यो अपेक्षा रखते हो अपेक्षा, जितना हो सके अपना जीवन स्वयं के बल पर जियो। एक गिलास पानी चाहिए तो स्वयं भरकर पी लो तो निश्चित ही तुम्हारे जीवन मे शान्ती के द्वार खुल जाएगे। क्रोध के गुलाम नही मालिक बने। जब भी गुस्सा आए तो उसे बस 5 मिनट का इंतज़ार करो देखना तुम्हारा गुस्सा इंतजार नही करेगा और भाग जाएगा।
क्रोध की चिंगारी हमारे जीवन को जलाकर नष्ट कर देती है। जैसे तुम् अपनी दुकान मे अग्नि बुझाने का अग्निशमन यंत्र रखते हो वैसे क्रोध की अग्नि बुझाने के लिए समझदारी का यंत्र रखो। जैसे ही क्रोध आए समझदारी का जल उसमे डाल दो। आचार्य ने कहा कैसी भी परिस्थिति हो निराशा हताशा नही बल्कि अपने हौसले बुलंद रखो। अपने अतीत में नही वर्तमान में जियो। परिवार मे व्यंग्य की भाषा नहीं बल्कि जुबान पर कंट्रोल रखो। घर गृहस्थी के कार्य में हस्तक्षेप मत करो बहु और बेटी में भेदभाव मत रखो।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी
