सागर -सफलता प्राप्त करने का महत्वपूर्ण सूत्र है मुस्कुराना। अगर हम जीवनपथ में फूल नहीं बिखेर सकते तो कम से कम मुस्कान तो बिखेर सकते हैं ।
मुस्कुराहट आपकी सद्भावना की संदेशवाहक हुआ करती है। यह बात महावीर दिगम्बर जैन मंदिर नेहानगर में विराजमान मुनिश्री कुंथुसागर जीमहाराज ने कही। उन्होंने कहा कि जिस आदमी के पास मुस्कुराता हुआ चेहरा न हो उसे दुकान नहीं खोलनी चाहिए। क्योंकि मुस्कुराते हुए चेहरे खिलते हुए गुलाब के समान होते हैं। मुस्कान दुनिया का सबसे बड़ा सौंदर्य है, चेहरे की मुस्कान स्वागत, सम्मान का सबसे अच्छा तरीका है। मुस्कुराहट आपकी सद्भावना की संदेशवाहक है। मुस्कुराहट का ही परिणाम है कि जो व्यक्ति शिकायत लेकर आता है उसका क्रोध ठंडा पड़ जाता है क्योंकि सामने वाले की मुस्कान देखकर ही हमारी शिकायत समाप्त हो जाती है। लोग इतने भी गरीब न हों कि सामने वाले को एक मुस्कान न दे सकें। जब आप घर से बाहर जाते हैं तो परिवार के लोगों को मुस्कान दे करके जाइएगा। आपका पूरा दिन सुखमय व्यतीत होगा एवं परिवार में भी तनाव नहीं रहेगा और जब परिवार का सदस्य कोई शाम को घर लौटता है तो जो घर में लोग रहते हैं उन्हे उनका स्वागत मुस्कान के साथ करना चाहिए क्योंकि दिन भर से हारा थका व्यक्ति आपकी मुस्कुराहट देखकर के अपनी थकान को दूर कर लेता है। मुस्कुराहट देने में हमें किसी प्रकार कष्ट नहीं होता और लेने वाला व्यक्ति भी खुश रहता है। कठिन से कठिन समस्या भी एक मुस्कुराहट से निपट जाती है। मुनिश्री ने कहा कि क्रोध ,घृणा, भय, ईर्ष्या ऐसे दुर्गुण हैं जो मानसिक रोगों को जन्म देते हैं। इन सब की कोई दवा है तो उसका नाम है मुस्कुराहट ।
इस कार्य में हमें जिंदगी की कठोरता का अनुभव नहीं होता। मुस्कान से संसार के कड़वे दुखदाई प्रसंग सहजता से ही झेल लिया करते हैं। मुस्कुराहट मन की गंदगी को बाहर ले जाने वाली एक तेज गति से बहने वाली नदी है। यह तो सफलता की कुंजी है इसके परिणाम हमेशा अच्छे आते हैं। इसलिए हमें हमेशा दूसरे का सम्मान मुस्कुराकर करना चाहिए। तभी हम अपने जीवन में सुखद और आनंदमय वातावरण का निर्माण कर सकते हैं। चातुर्मास कमेटी के मीडिया प्रभारी मनोज जैन लालो ने बताया कि मुनिश्री द्वारा महाकाव्य मूकमाटी की व्याख्या प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से की जा रही हैं।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
