प्रतापगढ़-बगवास मे विराजित आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने कहा सत्य की नींव मे डाले गए पत्थर हिलते धुलते है लेकिन कभी अपना अस्तित्व नही खोते। आचार्य ने कहा प्रत्येक धर्म की अपनी विशेषता है लेकिन प्राचीनता से ही सत्यता का बोध होता है। इसलिए पुरानी संस्क्रति को हमे भूलना नही चाहिए। व जैन संस्क्रति के लिए हमे कुछ करना चाहिए। जैन मुनि मे मद, राग,द्वेष, क्रोध औऱ लोभ आदि कषाय भाव नही है वही सच्चे सुरक्षा कवच है। स्वेदशी वस्तुओं को अपनाओ और गोहत्या जैसे अनर्थ कार्यो से बचे
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी
