जीवन में जोडने के साथ छोड़ने की कला भी आना चाहिए पुलक सागर जी


 बांसवाड़ा- आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने उदबोधन मे कहा जोड़ना बुरी बात नही है, लेकिन जोड़ने के साथ छोड़ने की कला सीखो। उन्होने कहा इस धरा पर जितने भी महापुरुष हुए है, उन्हे त्याग के माध्यम से दुनिया पहचानती है,लेकिन आज जमाना बदल गया है, जो जितना परिग्रह औऱ धन जोड़ता है,उसे उतना सम्मान मिलता है। एक हत्यारा चोरी करने वाला या झूठ बोलने वाले को दुनिया घृणा की निगाह से देखती है। लेकिन जो तिजोरी भरता है, लोग उसका बड़े आदर से नाम लेते है। 
 उन्होंने कहा मैं कहता हूं सम्मान जोड़ने का नही, त्याग का होना चाहिए। 
   उन्होंने अंत मे कहा त्याग करने का अभ्यास करो त्याग करने से आत्मबल मिलता है। त्याग ही जीवन को सर्वोच्च ऊँचाई पर ले जाता है जिसके जीवन मे त्याग नही है, वह आत्मकल्याण के पथ पर नही चल सकता। छोटे छोटे नियमो का पालन कर त्याग करने का अभ्यास करो।
     संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.