ग्वालियर: जिले की ग्वालियर पूर्व विधानसभा पर चुनावी समीकरण हमेंशा से ही अजीबोगरीब रहे हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ राजनेता नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा से टिकट के लिए डॉ सतीश सिकरवार को लगभग बागी अंदाज में आना पड़ा था। पार्टी ने मजबूरन टिकट तो दे दिया था, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के भितरघात की वजह से डॉ सतीश सिकरवार यह चुनाव हार गए थे। इस हार की टीस मन में दबाए बैठे डॉ सतीश सिकरवार तब से ही मौका तलाश रहे थे कि भितरघात करने वालों को सबक सिखाएंगे। इधर सिंधिया और उनके समर्थक विधायक-मंत्रियों के भाजपा में आ जाने के बाद यहां की राजनीति खिचड़ीनुमा हो गई। अब हालत यह है कि भाजपा से भले ही मुन्नालाल गोयल चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अंदरखाने में पार्टी का कार्यकर्ता उनके साथ खड़ा दिखाई नहीं दे रहा है। इधर कांग्रेस की स्थिति इस सीट पर पहले से ही कमजोर थी, क्योंकि उनके पास ऐसा कोई खास चेहरा नहीं था, जिसकी मास अपील हो। ऐसे में कांग्रेस ने भी डॉ सतीश सिकरवार पर दांव खेलने में अपना लाभ-हानि देख लिया। डॉ सतीश सिकरवार का कांग्रेस के टिकट पर ग्वालियर पूर्व से चुनाव लड़ना लगभग तय है। यानी दोनों ही पार्टी से वही दो चेहरे जनता के सामने चुनने के लिए आएंगे जो वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में थे। फर्क सिर्फ इतना है कि दोनों चेहरों ने पार्टियों की अदला-बदली कर ली है। अब ग्वालियर पूर्व की जनता को यह अदला-बदली कितना रास आती है, चुनाव के परिणाम ही बताएंगे।
