अपनी द्रष्टि को बदलो सृष्टि को नही पुलक सागर जी

 बांसवाड़ा  - आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने अपने उद्बोधन मे कहा भगवान महावीर कहते है कि यदि वासना का दीपक जल रहा है और यदि वहा द्रष्टि का दीपक जला दिया जाए तो उसे परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है। उन्होंने कहा राम की तुलना कृष्ण से मत करना, बुद्ध की तुलना महावीर कृष्ण से मत करना। महावीर कहते है यदि तुम्हारी दृष्टि जग गई तो तुम्हारी प्रज्ञा जाग्रत हो जाएगी। एक तरफ द्रष्टि है, तो दुसरी तरफ पदार्थ।क्योकि तुम संसारी जीव हो, इसीलिए तुम द्रष्टि को पसंद करना पदार्थ को नही। जब तुम्हारा मरण  होगा तो तुम संसार के किसी भी पदार्थ को अपने साथ नही ले जा सकते हो। अगर तुम्हारी द्रष्टि खुल जाएगी तो तुम अपनी पहचान करना जान जाओगे। अगर सृष्टि को बदलना चाहोगे तो सृष्टि कभी नही बदलेगी। तुम्हें तुम्हारे परमात्मा से भी नही मिला पाएगी। यदि तुम्हारे पास आंख है, लेकिन द्रष्टि नही तो यह अच्छा नही है। हमारे पास आंख नही है और दृष्टि है तो ही यह अच्छा है। उन्होंने कहा जो रोटी के पीछे भागता है, वह भिखारी है और रोटी जिसके पीछे भागे उसे भिक्षु कहते है।
     संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

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