हम सम्प्रदाय नही, मानवता के बंधन में बंधे है पुलक सागर जी

 बांसवाड़ा -आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने मांगलिक उदबोधन मे कहा भारत माता ने अपने दुखों को आकर कहा कि आज तक जो भी मेरी कोख में जन्मा,मैने उसको दूध पिलाया बड़ा किया है, लेकिन किसी ने  मेरे गम को नही समझा।क्या आपको माँ के आंसू को देखकर ऐसा नही लगता है कि एक माँ हज़ारों बच्चो को पाल लेती है और एक बेटा अपनी माता तक को नही संभाल पाता। जब बेटे बिगड़ते है, तो माता सन्त के पास मंदिर मे जाती है, मस्जिद शिवालय मे जाया करती है। माँ कहती है कि प्रभु अब मेरा कोई सहारा नही है, अब तो मेरा कोई सहारा नही है, अब तो तेरा ही एक सहारा है। आचार्य श्री ने कहा कई बार तो ऐसा लगता है कि हमारा देश स्वतंत्र तो हुआ, लेकिन साथ में उसने वासनाओं को भी जन्म दे दिया। कहते है जब देश स्वतंत्र नही था तो अच्छा था कम से कम वासना तो बस में थी। स्वतंत्रता को शब्दो मे कहना बहुत  आसान है लेकिन आचरण में लाना बहुत कठिन है।भारत अच्छा है, क्योकि यहां धर्म है, परमात्मा है और बुरा इसीलिए है कि हम ने भारत  को राजनीतिक हाथों मे छोड़ दिया है। आज हम दूध मे पानी मिलाकर दूध की कीमत को बढ़ाना चाहते है। हमारे यहाँ गंगा बहती है, शराब नही बिकती है। प्रेम की शुरुआत तो घर से होती है, लेकिन भारत की विशेषता है कि वह खुद तो प्रेम करता नही है और दूसरों से करने की कहता है।
       संकलन अभिषेक  जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

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