भाजपा ने संभाला मोर्चा,कांग्रेस में स्टार प्रचारक का टोटा



उपचुनाव : मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बूथ स्तर तक अपनी तैयारी कर ली है भारतीय जनता पार्टी के बूथ लेवल कार्यकर्ता से लेकर पार्टी आलाकमान के बड़े नेता मंडल स्तर के कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं, वोटर को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। इतना ही नहीं वे बूथ लेवल कार्यकर्ता यानी पोलिंग एजेंट से जाकर चर्चा भी कर रहे हैं और उनको आगे की पूरी रणनीति से अवगत करा रहे हैं लेकिन वहीं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस में स्टार प्रचारकों का टोटा है क्योंकि अभी तक अकेले कमलनाथ ही हैं जो मोर्चा संभाले हुए हैं और वे ही हैं जो जनसभाएं कर रहे हैं इसके अलावा कोई भी बड़ा नेता धरातल पर पार्टी के लिए काम करते नहीं दिख रहा है ।
उपचुनाव को लेकर नामांकन प्रक्रिया  शुरू हो चुकी है। हालांकि अभी भी आम जन में चुनावी आबो हवा का रंग नहीं चढ़ा है। लेकिन भाजपा उप चुनावों को लेकर बेहद गंभीर है। उसने प्रत्येक उप चुनाव से संबंधित क्षेत्र में अपने मंत्रियों और नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं की तैयारी कर दी है, तो वहीं कांग्रेस की ओर से अभी तक बडे नेताओं की चुप्पी रहस्यमयी है। जिससे कांग्रेस प्रत्याशी अभी फिलहाल अपने समर्थकों के सहारे हैं और वह दलबदलुओं को सबक सिखाने के नारे पर ही आम वोटर की सहानभूति चाहते हैं। 
चंबल संभाग में कुल मिलाकर १६ सीटों पर उप चुनाव होना है और यह सीटें राज्य सरकार के भाग्य का निर्णय भी करेंगी। लेकिन कांग्रेस को अपनी सरकार के लिये पूरी की पूरी २८ सीटें चाहिये, इसी कारण भाजपा अपनी सरकार को लेकर निश्चिंत है। भाजपा नेताओं का कहना है कि हम १५ से १८ सीटें भी जीत गये तो हमारी सरकार को कोई खतरा नहीं है। लेकिन इसके बाबजूद सरकार को कोई खतरा न होने के बाद भी भाजपा अपने मैनेजमेंट के सहारे चुनावी समर में है। भाजपा का चुनावी मैनेजमेंट प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा से लेकर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा, प्रदेश महामंत्री संगठन सुहास भगत और क्षेत्रीय संगठन मंत्री आशुतोष तिवारी संम्हाले हैं। इसके अलावा प्रदेश भर के दिग्गज नेताओं सहित मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, अजय विश्रोई, लालसिंह आर्य, उमाशंकर गुप्ता, जयसिंह कुशवाह आदि भी जमे हुये है। और हर संभव कांग्रेस से भाजपा में आये प्रत्याशियों को मार्गदर्शन दे रहे हैं और समय-समय पर उनकी विभिन्न माध्यमों से मदद भी कर रहे हैं। 
विशेष बात यह है कि कांग्रेस प्रत्याशी उप चुनावों में अलग-थलग पड़ गये हैं। उन्हें अपने नेताओं का मार्गदर्शन ही नहीं मिल पा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वजय सिंह, से लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल , कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, का उन्हें मार्गदर्शन नहीं मिला है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के सहारे ही उनकी नैय्या है, जबकि अकेले उम्रदराज कमलनाथ कहां-कहां जायेंगे यह भी निश्चित नहीं है। कांग्रेस के दिग्गज नेता इस चुनावी समर से गायब हैं, तो वहीं कांग्रेस के बी और सी ग्रेड के नेता चुनाव में प्रत्याशियों की हौसला अफजाई जरूर कर रहे हैं। 
लेकिन भाजपा के वरिष्ठ , दिग्गज और तेज तर्रार नेताओं की चालों ने कांग्रेसियों को फिलहाल सीमित कर दिया है। जिससे प्रचार अभियान के चरण में भाजपाई प्रचार में गति पकडे हुये है।

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