बाँसवाडा-आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने कहा बच्चों को सुविधा दीजिए, और सुविधा के साथ संस्कार भी दीजिए। बच्चों के पास सुविधा है या नही,खास बात यह है कि बच्चो के पास संस्कार है या नही। घर परिवार के पास धन दौलत है, मुझे अगर कहे कोई पूछे तो मैं कहूँगा कि घर में घड़ी कार हमारी सम्पदा का प्रतीक है। घर के अंदर रहने वाले संस्कार हमारी संस्क्रति का प्रतीक है।
दुनिया मे ऐसा मोल कही नही दिखा जहाँ अच्छा संस्कार मिलता हो। घर बच्चो की लिए सबसे बड़ी पाठशाला और माता पिता उसके सबसे बड़े गुरु होते है। बच्चो में संस्कारों की कमी इसीलिए होती जा रही है कि हमने उनकी शिक्षा दीक्षा का दायित्व किराए पर शुरू कर दिया है। स्कूल कॉलेजो पर छोड़ दिया, माना शिक्षा दीक्षा का दायित्व स्कूल कॉलेज का होता है। मगर अच्छे संस्कार और दीक्षा का दायित्व घर के परिजनों का होता है,इसीलिए आदमी का घर उसके जीवन की प्रथम पाठशाला है। जीवन के 3 चरण होते है, पहला बचपन जो होता है वह ज्ञानार्जन के लिए, दूसरा होता है जवानी धनार्जन के लिए और जीवन का तीसरा चरण बुढापा जो पुण्यार्जन के लिए होता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी
