भाजपा, कांग्रेस और बसपा सहित निर्दलीय भी बागी



राजनीतिक हलचल: राजनीति में कब,कौन बागी हो जाये ये कहना मुश्किल है,क्योंकि चुनाव आते ही हर राजनीतिक दल में बगावत के स्वर सुनाई देने लगते हैं, लेकिन सूबे में करीब दो दर्जनों विधायकों ने एक साथ बगावत पहली बार की है जिनके कारण अब उपचुनाव की स्थिति बनी है,कांग्रेस भाजपा प्रत्याशियों पर गद्दारी का आरोप लगा रही है, इसके इतर पोहरी विधानसभा क्षेत्र का दृश्य कुछ अलग ही है क्योंकि यदि देखा जाए तो यहाँ हर कोई बागी है ।
कांग्रेस प्रत्याशी हरिवल्लभ शुक्ला कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं, लंबे समय तक टिकिट न मिलने के कारण शुक्ला ने कांग्रेस से बगावत की और 2003 में समानता दल के चुनाव चिन्ह पर न केवल विधानसभा चुनाव लड़े बल्कि जीते भी,कुछ महीनों बाद हुए लोकसभा चुनाव में शुक्ला भाजपा के बैनर तले गुना लोकसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को कड़ी टक्कर देकर जीत का अंतर हज़ारों में ला दिया, इतना ही नहीं 2008 में शुक्ला ने हाथी की सवारी की लेकिन चुनाव हार गए और फिर हुई उनकी घर वापिसी यानी कि कांग्रेस ।
भाजपा के प्रत्याशी और शिवराज सरकार के राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा लंबे समय तक कांग्रेस का झंडा उठाते रहे हैं, वे सिंधियाई नेताओं में शुमार रहे हैं, इसी का फल उनको पोहरी से 2018 में टिकिट के रूप में मिला और 28 साल बाद कांग्रेस ने यहाँ से जीत भी हासिल की,वो भी तब जब भाजपा से सजातीय उम्मीदवार प्रहलाद भारती चुनावी मैदान में थे,वे कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में शामिल हो गए हैं और एक बार फिर अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाह मंडी अध्यक्ष रहे हैं और भाजपा की नर्सरी से निकले जमीनी नेता हैं, 2018 में पोहरी विधानसभा क्षेत्र से न केवल टिकिट की चाहत थी बल्कि खूब प्रयास भी किया लेकिन भाजपा ने अपने विधायक प्रहलाद भारती पर विश्वास किया तो कुशवाह भाजपा से बागी हो गए और जा बैठे हाथी पर,हमेशा ही धाकड़ वनाम ब्राह्मण वाली इस सीट पर धाकड़ वनाम धाकड़ हुआ तो फायदा बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाह को हुआ,वे इस चुनाव में न केवल दूसरे स्थान पर रहे बल्कि भाजपा प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया, अब वे एक बार फिर चुनावी मैदान में जंग लड़ रहे हैं।
उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप जंग का एलान कर चुके पारम सिंह रावत कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ता हुआ करते थे,उन्हें कई बार ज्योतिरादित्य की कार को ड्राइव करते देखा गया और इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि उनकी सिंधिया से कितनी करीबी रही हिगी,वे निवर्तमान में जनपद पंचायत शिवपुरी के जनपद अध्यक्ष रहे हैं,वर्तमान भाजपा प्रत्याशी सुरेश धाकड़ के लिए भी पारम ने खूब मेहनत की लेकिन अब वे कांग्रेस से बागी होकर अपने पुराने साथी को चुनौती दे रहे हैं । यानी अब कहा जा सकता है अब तक हर एक ने कहीं न कहीं और कभी न कभी अपने राजनैतिक दल के साथ बगावत की है, फर भी आरोप प्रत्यारोप तो राजनीति का हिस्सा है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.