बारा-आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज ने अपनी मंगल वाणी द्वारा सभी को अपने जीवन मे नियम संयम का पालन करने का सन्देश दिया, उन्होंने कहाँ की जीवन मे नियम का बड़ा महत्व होता है छोटे छोटे नियम आपके लिए समय आने पर कल्याण कारी होते है, श्रद्धा का नंबर पहला है ज्ञान का दूसरा है, सच्चे देव शास्त्र गुरु के प्रति श्रद्धा होते ही जितना ज्ञान होता है वो सम्यक ज्ञान बन जाता है, बस श्रद्धा विवेक पूर्ण होना आवश्यक है, श्रद्धा से ही ज्ञान की समीचीनता है, सम्यक दर्शन होने पर ज्ञान की पावर बढ़ जाती है, सम्यक दर्शन के बाद ज्ञान का दीप प्रकाश मान होता हैl जैसे जैसे ज्ञान मे वृद्धि होती है वैराग्य मे भी बढ़ोतरी होती जाती है, वैसे वैसे पापो से बचने के उपाय किये जाते है l गुण स्थान मे वृद्धि होती है पापो की निर्जरा शुरू हो जाती है, श्रद्धा और ज्ञान चरित्र मे वृद्धि करते हुए एक दिन मोक्ष महल की प्राप्ति हो सकती हैl इन्द्रिया केवल बाहर का ज्ञान कराती है, आँखे भी बड़ा काम करती है, प्रभु का दर्शन यदि आत्मा के भावो कर लिया जाये तो जिन दर्शन से निज दर्शन होने मे देर नहीं लगती है l मन पर जिसका नियंत्रण है, वो काम कर सकता है, मन साधे तो सब सध जाये, मन ही प्रवचन सुनेगा, मन ही स्वयं का अध्यन करेगा, मन ही पापो से बचाएगा, मन ही धर्म चर्चा मे लगाएगा, मन ही सेवा पूजा कराएगा, इन्द्रिया तो केवल माध्यम है l जिसका मन जितना सुन्दर होगा उसका आचरण उतना ही सुन्दर होगा, जिसका मन सुन्दर उसकी आत्मा भी अपने आप सुन्दर हो जाया करती है, इसलिए सभी को अपने मन को वश मे करना चाहिए, नियम लेकर ऐसा किया जा सकता है. जीवन मे सफलता का मूल नियम और संयम है. प्रवीण जैन बारां से प्राप्त जानकारी के साथ अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी की यह रिपॉर्ट
