पोहरी तहसील को बना दिया दलालों का अड्डा, हर काम के लिए लगता है सुविधा शुल्क

छोटे-छोटे कामों के लिए परेशान हो रहे हैं लोग
योगेन्द्र जैन पोहरी। राज्य में भले ही सत्ता परिवर्तन हो गया है, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने से सिस्टम अभी भी बदला नहीं है। अधिकारी आज भी मनमाने ढंग से अनैतिक कार्यों को अंजाम देने में लगे हुए हैं, ऐसे अधिकारी के इशारे पर दलालों का ऐसा मकडज़ाल तहसील कार्यालय में बुना गया है, कि आम आदमी अपना कोई भी काम बिना रुपए चढ़ाए नहीं करा पा रहा है। तहसील प्रांगण में दलालों का जमघट लगा रहता है, जो अधिकारियों की ओर से लोगों से रुपए लेकर हर तरह के काम करा रहे हैं। दलाल और बिचौलियों के इशारे पर हर वह अनैतिक कार्य को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है। कायदे-कानून के लिहाज से यह उचित नहीं कहा जा सकता है। लेकिन यहां सब कुछ पैसे की माया है, दलालों-बिचौलियों के जरिए सुगमता से हर काम करा दिया जाता है।
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हर बात के लिए तय है सुविधा शुल्क-तहसील कार्यालय से जुड़े आम लोगों के काम आसानी से नहीं होते हैं। तहसील से जुड़े कार्यो के लिए बनाए गए सिटीजन चार्टर का भी पालन नहीं हो रहा है। त्रुटि सुधार, खसरा-खतौनी की नकल, नक्शा की कॉपी, भू-अधिकार पुस्तिका, बटांकन, बटबारा, सीमांकन, नामांतरण और डायवर्सन, सभी तरह के काम के लिए सरकारी फीस के अलावा सुविधा शुल्क की राशि भी तय है, जो लोग शुल्क दे देते हैं, उनके काम तो आसानी से हो रहे हैं, लेकिन जो सुविधा शुल्क नहीं देते हैं, उनके काम सिटीजन चार्टर को दरकिनार रखते हुए महीनों तक नहीं किए जाते हैं। इतना ही नहीं सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हो या निजी जमीन का विवाद, सभी केसों को जरुरत से ज्यादा लंबित रखा जाता है, ताकि पीडि़त पक्ष मजबूरन सुविधा शुल्क दे। फिर भी शुल्क नहीं मिलता है, तो काम लंबित ही रहता है।

मुख्यालय पर नहीं रहते पटवारी-पोहरी तहसील पदस्थ पटवारी मुख्यालय पर निवास न करते हुए जिला मुख्यालय पर निवास करना पसंद करते हैं। ग्रामीण अपने कामों के लिए तहसील में पटवारियों के आने का इंतजार करते रहते हैं, लेकिन उन्हें पटवारियों से काम कराना तो दूर, दर्शन तक नहीं हो पाते हैं। दर्जन  गांवों के किसानों के राजस्व संबंधी काम नहीं हो रहे हैं। खसरा-खतौनी की नकल सहित छोटे मोटे काम के लिए दूर दूर से आने वाले किसानों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
सुविधा शुल्क बिना नही बढ़ती आगे फाइल- पोहरी तहसील में सरेआम सुविधा शुल्क का काम चलता है इसके बिना फाइल को आगे बढ़ना मुश्किल ही मानिए।
चाहे आपका नामांतर हो आपको अलग अलग टेबल पर तहसील के पुजारियो को मानना पढ़ता है इसके लिए टेबल के नीचे से सुविधा शुल्क देनी पड़ती है यदि नजर दौड़ाई जाए तो नामांतर के चक्कर तहसील में लगा लगाकर जनता परेशान हो गई है लेकिन फाइल बिना सुविधा शुल्क के आगे नही बढ़ती है
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