प्रतापगढ़।बमोत्तर में आयोजित धर्मसभा में बुधवार को आचार्य श्रीसुनील सागर जी महाराज ने कहा कि खुशी से संतुष्टि मिलती है और उसी संतुष्टि से खुशी मिलती है लेकिन संतुष्टि से मिली हुई खुशी हमेशा के लिए होती है। हमें अपने जीवन मे संतुष्टि पूर्ण जीवन जीना चाहिए। बाहरी वातावरण से प्रभावित होने की आवश्यकता नहीं है। हमारा सहज आनंद होना स्वभाव है। हमारा स्वभाव यही है लेकिन हम उलझ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम स्वयं विकल्प में पड़कर स्वयं को ही दुखी कर रहे हैं। इसलिये बड़ी सावधानी से प्रवृत्ति करने की जरूरत है। प्रभु की कल्पना निज में ही करनी चाहिए। जिस तरह हम भगवान की भक्ति करते हैं, विनय करते हैं वैसे ही हमें अपने भगवान आत्मा का विनय, भक्ति करनी चाहिए। आत्मा की खान से ही परमात्मा का प्रादुर्भाव है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
