निराश व्यक्ति मानसिक रोगी हो जाता है: आचार्यप्रतिष्ठा के लिए 108 मूर्तियां आईं

दमोह-वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी  महाराज जबलपुर नाका जैन मंदिर में संघ सहित विराजमान हैं। प्रतिदिन धर्म की कक्षाएं चल रही हैं। भक्तो का आना जाना निरंतर बढ़ता चला जा रहा है। पंचकल्याणक की तैयारियां चल रही हैं। विशाल पंडाल बनकर तैयार हो गया है। प्रतिष्ठा के लिए 108 मूर्तियां आ चुकी हैं। आचार्य श्री अपने प्रवचनों से जनता को सदमार्ग पर लगा रहे हैं।
आचार्य श्री ने भावना ग्रंथ की वाचना करते हुए कहा प्रत्येक इंसान के अंदर इच्छाएं अनंत हैं इच्छाएं कभी पूरी नहीं होती हैं। जहां इच्छाएं हैं वहां तनाव है, जहां तनाव है वहां दुख है, इच्छाएं पूरी नहीं होने पर दिल में निराशा आती है। निराश व्यक्ति मानसिक रोगी हो जाता है। तुलना से भी तनाव पैदा होता है। तुलना सकारात्मक होना चाहिए। तुलना अपने उत्थान के लिए होना चाहिए। तुलना तराजु की तरह समान होना चाहिए। आचार्य श्री ने कहा धर्म तर्क का नहीं श्रद्धा का विषय है तर्क उलझाता है श्रद्धा झुकाती है। जोड़ने का काम करना चाहिए सहयोग की भावना आदमी को जोड़ती है परस्पर एक दूसरे पर उपकार करने से हमारा जीवन चलता है, उपकार के बिना जीवन यापन असंभव है जब व्यक्ति पर वस्तु को हमारी हमारी रहता है तब मारामारी होने लगती है इसको रोकने का उपाय मात्र संतोष है।
        सविधान एक समान होना चाहिए आचार्य श्री 
आचार्य श्री ने जिले के भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी, जैन युवा संगठन के मंत्री गोलू बजाज, अध्यक्ष बंटू गांगरा, राजेंद्र गांगरा आदि को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा बेटी को बचाना होगा क्योंकि 1 वर्ष में 10 हजार बेटियां हमारे देश की गायब हो जाती हैं जिनका अता पता ही नहीं रहता। आचार्य श्री ने कहा देश में दोहरी नीति नहीं होना चाहिए दोहरी नीति से देश का संतुलन बिगड़ रहा है समानता की जगह असमानता फैल रही है किसी जाति विशेष को छूट देने से नफरत पैदा होती है जो देश के लिए घातक है आबादी का संविधान एक समान होना चाहिए।
            संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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