बांसवाड़ा -खांदू कॉलोनी स्थित श्रेयांसनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान आचार्य विभव सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि समाज में आगम के सिद्धान्तों का पालन नहीं होता केवल अपनी अपनी मान्यताओं का पोषण किया जाता है। ऐसी स्थिति में किसी भी कार्य का निर्णय पारदर्शी नहीं होता। आचार्य श्री ने कहा कि सिद्धांतों के साथ निष्पक्ष और दूरदर्शी निर्णय लिए जा सकते हैं, पर मान्यताओं का कोई ठोस आधार नहीं होता, वे थोपी जाती है। अध्यात्म का पारखी हो या तत्व ज्ञानी हो वह अपना निर्णय अपने विवेक से अपने शुभ भावों के साथ लेता है। वे आगम की धारा के अनुरूप होते हैं। दुख पाप नहीं, वरन हमारे पाप देते हैं। परिवार में सभी अपने अपने भाग्य को लेकर आते हैं, कोई किसी को सुख या दुख नहीं देता। हम जैसे कर्म करते हैं, वैसा ही बंध जाते हैं। जैसा बंध हो जाते हैं वैसा ही फल हमें भोगना पड़ता है। हमारी आत्मा में यदि शुभ भावों का परिणमन हो तो परिणाम भी शुभ होंगे। यदि भाव अच्छे नहीं हो तो भव भी सुधरने वाला नहीं। अशोक रजावत ने जानकारी देते हुए बताया कि दोपहर में 2 बजे आचार्य श्री ससंघ नगर के जिनालयों की वंदना करने के लिए कॉलोनी से विहार किया। महावीर भगवान के चैत्यालय वासुपूज्य जिनालय, आदिनाथ जिनालय में दर्शन किए। साथ ही ससंघ अभिनंदन भैया जिनकी आगामी 14 फरवरी को परतापुर में जैनेश्वरी दीक्षा होने जा रही है। उनकी गोद भराई भी सभी मंदिरों में समाज जनों द्वारा की गई।
राज राजेश्वर में सुरेश सिंघवी के गृह चैत्यालय की भी गुरुवर ने वंदना की। सोमवार को सुबह 7.30 बजे अभिनंदन भैया की गोद भराई खांदू कॉलोनी में समाज द्वारा सामूहिक रूप से की जाएगी। उसके बाद आचार्य श्री के मंगल प्रवचन होंगे। सुबह आहारचर्या के बाद दोपहर में लगभग 2 बजे आचार्य संघ का मंगल विहार तलवाड़ा की ओर होने की संभावना है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
