शासकीय कार्य में बाधा पहुँचाने वाले आरोपीगण को हुई सजा

 
झाबुआ-जिला मीडिया प्रभारी (अभियोजन) सुश्री सूरज वैरागी द्वारा बताया गया कि न्यायालय सुश्री प्रतिभा वास्केल, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, झाबुआ, जिला झाबुआ द्वारा आरोपीगण केनु ऊर्फ खेनु, उमेश, राजेश तथा धन्ना को धारा 353 भा.दं.सं. में 1-1 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500-500 /- रुपये अर्थदण्ड से दंडित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से प्रकरण में संपूर्ण संचालन श्रीमति मनीषा मुवेल, अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी, जिला झाबुआ द्वारा किया गया। घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 24.08.2016 को सहायक उपनिरीक्षक दिलीप वर्मा ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई कि उक्त दिनांक को समय 07:00 बजे टी0आई0 के आदेश से मय हमराह सहायक उपनिरीक्षक खेमसिंह चौहान,  सहायक उपनिरीक्षक कमलकांत पलवार, प्रधान आरक्षक 340 भुपेन्द्र, प्रधान आरक्षक 89 रईस, आरक्षक 493 गणेश, आरक्षक 325 थानसिंह, आरक्षक 112 राजेन्द्र को हमराह लेकर वाहन चैकिंग हेतु रंगपुरा नदी की पुलिया पर आने-जाने वाले वाहनों की चैकिंग की जा रही थी व गाड़ी नंबर एम0पी0-45-एम0एच0-4524 वाहन को चैक करते समय वाहन के कागजात न होने से गाड़ी खड़ी कराई गयी व उक्त गाड़ी को थाना झाबुआ भेजा गया इसी बात से नाराज होकर धन्ना़ पिता टिहीया निवासी रंगपुरा, केनु पिता कल्लु सिंगाड निवासी कागलखो, उमेश पिता हिमला सिंगाड निवासी कागलखों तथा राजेश पिता हिमला निवासी कागलखों ने पुलिस के वाहन रोकने के 5 स्टांपर उठाकर पुल के निचे फेंक दिए थे व स्टांपर पुल के उपर से निचे फेंकने से स्टांपर में टुट-फुट होकर नुकसान हुआ था । अभियुक्तगण बोल रहे थे कि ‘’उनके पास गाड़ी के सभी कागज है पर उनके साथ में नही है। उनकी गाड़ी क्यों रोकी गई’’ कहकर पुलिस से हुज्जतबाजी करने लगे व अभियुक्तगण ने शासकीय कार्य वाहन चैंकिंग करने में अवरूद्ध उत्पन्न  किया । 
उक्त रिपोर्ट पर से थाना झाबुआ के द्वारा अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में आरोपीगण के विरूद्ध धारा 353, 186 भादवि का पेश किया गया ।
विचारण के दौरान न्यायालय सुश्री प्रतिभा वास्केल, जेएमएफसी. न्यायालय द्वारा आरोपीगण को दोषी पाते हुये आरोपी केनु ऊर्फ खेनु पिता कल्लुा, उमेश पिता हिमला, राजेश पिता हिमला, निवासी कागलखों एवं आरोपी धन्ना पिता टिहिया निवासी रंगपुरा झाबुआ को धारा 353 भा.दं.सं. में 1-1 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया1।

                           

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