पोहरी: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी चौथी पारी में सख्त नज़र आ रहे हैं, वे खुले मंच से लगातार न केवल गुंडों,अपराधियों और माफियाओं को जमीन में गाड़ने की धमकी दे देते हैं बल्कि अधिकारियों को सख्त हिदायत देते हुए भी देखा गया है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं जाएगी । अभी हाल ही में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मंच से ही तहसीलदार को निलंबित करने की घोषणा कर दी थी, इतनी सख्ती के बाद भी पोहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पदस्थ बीएमओ पर शासन और प्रशासन इतना मेहरवान क्यों है, क्या बीएमओ को राजनीतिक सरंक्षण प्राप्त है या फिर आला अधिकारियों के बीच अच्छी पैठ है जो इतना कुछ होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों के कान पर न तो जूँ तक रेंगी है और न ही बीएमओ के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई ।
आपको बता दें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोहरी हाल ही में सुर्खियों में आया था ,कारण अस्पताल में नसबंदी के लिए भर्ती हुईं ग्रामीण महिलाओं को कड़ाके की ठंड में अस्पताल परिसर में ही खुले में लिटाने का मामला था । इस गंभीर लापरवाही पर न तो सत्तापक्ष और विपक्ष ने कोई सवाल किया और न ही मानवाधिकार आयोग की नज़र पड़ी,जबकि मामले को मीडिया ने गंभीरता से आला अधिकारियों के संज्ञान में लाने की भूमिका अदा की थी । प्रदेश की शिवराज सरकार लगातार बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का ढोल पिटती रहती है और आयुष्मान निरामय मध्यप्रदेश की परिकल्पना को साकार करने के लिए अधिकारियों पर जोर दिया जा रहा है लेकिन सवाल ये है कि क्या पोहरी बीएमओ जैसे अधिकारियों के भरोसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह प्रदेश को स्वस्थ बनाएंगे ,सवाल तो ये भी है कि बीएमओ के खिलाफ क्यों शासन और प्रशासन कार्यवाही करने से बचता दिख रहा है या फिर किसी रसूख के चलते इनको अभयदान दिया गया है, हो कुछ भी लेकिन इन्ही लापरवाही और कार्यवाही की लेटलतीफी के चलते आम गरीब जनता अब सरकारी अस्पतालों में उपचार कराने से कतरा रहे हैं, बीएमओ के खिलाफ कोई कार्यवाही होगी या फिर यूँ ही गरीब लोगों की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले इन साहब को राजनीतिक सरंक्षण प्रदान कर यूँ ही पोहरी की जगहँसाई होती रहेगी ।
