संसार को जीवन जीने की कला और अध्यात्म भगवान आदिनाथ ने सिखाया: विराग सागर जी


चैत्यालय जैन मंदिर में हुआ आयोजन
भिंड -सकल जैन समाज की ओर से बुधवार को चैत्यालय जैन मंदिर में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का निर्वाण महोत्सव मनाया गया। जहां पर श्रद्धालुओं ने  गणाचार्य विराग सागर जी  महाराज के सानिध्य में भगवान के समक्ष 11 किलो का लाडू चढ़ाया। इस मौके पर गणाचार्य ने कहा कि इस संसार मेें जीवन जीने की कला, न्याय, नीति,व्यवहार और अध्यात्म को यदि किसी ने सिखाया है तो वह भगवान आदिनाथ हैं।

भगवान आदिनाथ ने सिखाई जीने की कलाः
धर्मसभा में  विराग सागर जी  महाराज ने कहा कि इस संसार मेें जीवन जीने की कला जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने सिखाई। उन्होंने कहा कि एक पिता का अपने बच्चों के प्रति दायित्व और एक बेटे का अपने पिता के प्रति विनय पूर्ण कर्तव्यों का ज्ञान आदिनाथ भगवान ने कराया। उन्होंने कहा वर्तमान परिवेश में समाज में कई प्रकार की विषमताएं दिखाई दे रही हैं। इसलिए जरूरी है कि हम बेटियों को भी बेटों के समान शिक्षित प्रशिक्षित कराएं।
आपस में भाईचारा और प्रेम लाएं तभी महोत्सव मनाने की सार्थकता:गणाचार्य ने कहा कि दिगंबर जैन चैत्यालय मंदिर के मूलनायक भगवान आदिनाथ हैं और यह शहर के बीचों बीच विराजमान हैं। यही कारण है वो संपूर्ण शहर में सुख शांति का विस्तार कर रहे हैं। आज हम सभी भगवान का महोत्सव मना रहे है। भगवान का यह निर्वाण कल्याणक महोत्सव तभी सार्थक होगा। जब हम सब आपस में भाई चारा और प्रेम व्यवहार लाएं। कड़ी से कड़ी जोड़कर चैन की तरह एकता का सूत्र अपनाएं। मंदिर और मूर्ति की शान बढ़ाएं।
सद्बुद्धि और ज्ञान प्रदान करने की कामना करें
आचार्य ने कहा कि आज हम सभी भगवान का मोक्ष कल्याणक मना रहे है। आज हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु हम सभी आपके बालक हैं यदि हमसे इसमें कोई त्रुटि हो जाये तो आप क्षमा करें और हमें सद्बुद्धि व ज्ञान प्रदान करें। जिससे हम अपने स्वंय के साथ ही परिजन और समाज के हित में काम कर सकें। उन्होंने कहा कि सभी को संकल्प करना चाहिए कि महावीर जयंती आदिनाथ निर्वाण महोत्सव, महावीर निर्वाण महोत्सव का सामाजिक कार्यक्रम हो तो उस दिन सारे काम छोड़कर एकता का परिचय देंगे। दुकान बाद में खोलेंगे।
धर्मसभा में गणाचार्य बोले- बेटियों को भी बेटों के समान शिक्षित- प्रशिक्षित कराएं
      संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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