भावों में पवित्रता आने पर मोह संस्कार दूर हो सकते हैं : समय सागरजी महाराज

सागर -भावों में पवित्रता आने पर मोह संस्कार दूर हो सकते हैं। अल्प समय में साधना निरपेक्ष भाव से करें तो मोह दूर हो सकता है। मन को नियंत्रण में रखने के लिए पंचइंद्रियों के विषयों को रोकने का प्रयास करना चाहिए। अन्यथा मन की इच्छा से कर्म बंध हो जाता है। मन को शांत करने के लिए इंद्रियों पर काबू करना आवश्यक है। यह बात मुनि श्री समय सागर जी महाराज ने कही। वे भाग्योदय तीर्थ में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मन तो अनंत काल से विषयों को भोगता आया है। इस पर एकदम से भी लगाम लगना संभव नहीं है। मन के माध्यम से तो एक स्थान पर बैठकर तीन लोक की यात्रा हो सकती है।
           संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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