बच्चों को संस्कारित कर उन्हें अच्छा नागरिक बनाना समाज का कर्तव्य है : निर्वेग सागरजी


दमोह-वसुंधरा नगर में विराजमान मुनी श्री प्रशांत सागरजी महाराज, मुनि श्री निर्वेगसागर जी महाराज एवं आर्यिका रत्न ऋजु मति माताजी के मंगल सानिध्य में पाठशाला के ज्ञान कलश की स्थापना की गई। जिसमें कलश स्थापना का सौभाग्य प्रोफेसर अनिल कुमार सपना जैन ने प्राप्त किया। इसके पूर्व कार्यक्रम के आरंभ में मंगलाचरण के बाद आचार्य श्री के चित्र का अनावरण एवं ज्ञान ज्योति का प्रज्वलन पंडित प्रेमचंद जैन, संतोष भारती, कमल सिंघई, सुधीर सिंघई, डॉ अमित जैन रूपचंद, मंटू गांगरा, सुधीर विद्यार्थी ने किया। मुनि संघ को शास्त्र भेंट किए गए। अतिथियों के अलावा पाठशाला के सहयोगी सुनील वेजिटेरियन प्रकाश जैन ऋषभ एवं महेंद्र जैन ने दी। श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद ग्रहण किया। पाठशाला की मुख्य संचालिका सुषमा जैन एवं रश्मि जैन के साथ अन्य शिक्षिकओं ने भी मुनि श्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद ग्रहण किया। अनेक लोगों ने इस अवसर पर पाठशाला के लिए दान राशि की घोषणा की।
इस मौके पर मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा की आज ज्ञान का विकास हो रहा है लेकिन आनंद और शांति छिन रही है जब तक ज्ञान सच्चरित्र के साथ नहीं होगा तो आनंद की अनुभूति नहीं हो पाएगी, बच्चों को संस्कारित कर उन्हें अच्छा देश का नागरिक बनाना समाज का कर्तव्य है, धार्मिक पाठ शालाओं से बच्चों में जैनत्व के संस्कार देने से वे समाज के लिए गौरव बन जाते हैं। आज पाठशालाओं का आधुनिकरण करके उन्हें डिजिटिलाइज करना आवश्यक है क्योंकि युवा पीढ़ी विज्ञान की भाषा और आधुनिक उपकरणों के माध्यम से ज्ञानार्जन करती है। बच्चों को चरित्रवान और निष्ठावान बनाने के लिए पाठशाला में संस्कार देना आज की आवश्यकता बन गया है, जिस पर समाज को विशेष ध्यान देना चाहिए। 
            संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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