बागीदोरा-संत भवन में विराजित आचार्य श्री सुंदर सागरजी महाराज एवम आचार्य श्री 108 विभव सागरजी महाराज ससंघ के सान्निध्य में मंगलवार को सुबह जैन मंदिर में मूलनायक भगवान की शांतिधारा व अभिषेक किया गया। इसके बाद संयम भवन में आयोजित धर्मसभा में आचार्य श्री सुंदर सागरजी महाराज ने जिनवाणी के बारे में कहा कि मानव को जीवन में जप, तप और जिनवाणी के महत्व को समझना चाहिए। संत और गुरुजन की कृपा से ही मानव को प्रभु भक्ति के लिए जप-तप का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि जब भी मौका मिले जिनवाणी का श्रवण जरूर करना चाहिए। यह जिनवाणी ऐसा ज्ञान है जिसे जितना पाया जाए उतना कम है। जैन धर्म के 45 आगम में पूरे संसार का ज्ञान समाया है।
जो व्यक्ति जीवन में सकारात्मक सोच रखता उसे नई ऊर्जा मिलती है विभव सागर जी ।
आचार्य विभव सागरजी महाराज ने कहा कि स्वाध्याय से ही जीवन की उन्नति होती है। जो व्यक्ति जीवन में सकारात्मक सोच रखता उसे नई ऊर्जा मिलती है। सकारात्मक विचार में शक्ति होती है। जिससे जीवन में उत्साह, आनंद और सुकून का संचार होता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
