प्रकृति और पर्यावरण वरदान हैं, इनके साथ अन्याय नहीं करें : सुनील सागरजी


घाटोल-कस्बे के वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर प्रांगण में धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने कहा कि प्रकृति का ऐसा लेखा पहले कभी नहीं देखा जहां हवा ताजी एवं शुद्ध है लेकिन मास्क पहनना जरूरी है। सड़कें खाली हैं पर लॉन्ग ड्राइव की मनाई है। लोगों के पास वक्त है पर सभी के दरवाजों पर जाली है और दरवाजे बंद है, जिनके पास पैसा है उनके पास खर्च करने के तरीके चाहिए और जिनके पास पैसा नहीं है उनके पास कमाने के तरीके नहीं है, दुश्मन कोरोना चारों ओर है फिर भी दिखता नहीं है इसलिए दिल और दिमाग से पॉजिटिव रहें, ताकि हमारी रिपोर्ट नेगेटिव रहे। उन्होंने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण के साथ अन्याय न करें क्योंकि यह वरदान है और लाखों-करोड़ों पेड़ काटकर हम आज ऑक्सीजन के लिए हम दर-दर हॉस्पिटलों में भटक रहे हैं। हमारे लिए आज प्रकृति पर्यावरण से छेड़छाड़ का नतीजा है की प्रकृति हमारे लिए कब अभिशाप बन जाए, वहीं उन्होंने वर्तमान में कंदमूल एवं डिब्बाबंद खाने का दूषित बताते हुए कहा लाखों बैक्टीरिया और जीवाणु इनके भीतर होते हैं जहां दिखाई नहीं देते जैसे आज एक कोरोना जैसे सूक्ष्म जीवाणु ने पूरी सृष्टि को हिला दिया है। इसलिए खानपान को शुद्ध रखेंगे तो खानदान की शुद्धि होगी। 
           संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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