एसडीएम का आदेश बना शिक्षकों की जान का खतरा, पढ़िये क्या है पूरी खबर








शिवपुरी। कोरोना महामारी में जिले में हर दिन पॉजिटिव केस के आंकड़े थमने का नाम नही ले रहे है ऐसे में शिक्षकों को गाँव गाँव जाकर सर्वे करना कितना खतरनाक हो सकता है। अभी कुछ समय पहले मुरैना एसडीएम के कारण सबलगढ़ में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो गई थी। इंदौर में एसडीएम के कारण बीएमओ ने इस्तीफा दे दिया।



अब शिवपुरी में भी ऐसा ही कुछ होने की संभावना है क्योंकि शिवपुरी एसडीएम ने शिक्षकों को मेडिकल ड्यूटी पर लगा दिया है। स्नेह रघुवंशी राज्य शिक्षक संघ, राजकुमार सरैया उपाध्यक्ष प्रांतीय उपाध्यक्ष संविदा अध्यापक संघ, मनमोहन जाटव, सुनील वर्मा, अमरजीत श्रीवास्तव अध्यापक संघ कांग्रेस, रोहिणी अवस्थी अध्यक्ष, प्रधान अध्यापक माध्यमिक संघ आदि ने आपत्ति दर्ज कराई है। 



5 मई  की शाम को जारी आदेश क्रमांक 947 के अनुसार दिनांक 6 मई कि सुबह से सभी शिक्षकों को कम से कम 50 घरों का मेडिकल सर्वे करना है। इस दौरान उन्हें कोरोनावायरस पॉजिटिव लोग, होम आइसोलेशन वाले, सर्दी-खांसी, जुकाम-बुखार, ILI, गले में खराश, सांस लेने में कठिनाई, बदन दर्द, सिर दर्द आदि का पता लगाना है एवं उचित सलाह अथवा कोविड-19 सैंपलिंग की व्यवस्था करनी है। 



शिक्षकों को एक घर-घर जाना है और घर में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति का डॉक्टर की तरह चेकअप करने के बाद रिपोर्ट तैयार करनी है। उचित सलाह (दवाइयां अथवा होम आइसोलेशन) देनी है। यदि कोई कोरोना संदिग्ध लगता है तो उसे कोविड-19 की जांच के लिए भेजना है एवं सुनिश्चित करना है कि उसका सैंपल कलेक्ट हो जाए। 




शिक्षक को 1 दिन में (सुबह 9:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक) 50 घरों में औसत 150 लोगों का चेक अप करना है और शाम 5:00 तक रिपोर्ट बनाकर एसडीएम कार्यालय में जमा करना है। 




शिक्षकों को एक डॉक्टर अथवा पैरामेडिकल स्टाफ की तरह सर्वे पर भेजा जा रहा है जबकि इसके लिए उन्हें कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई। मेडिकल विशेषज्ञ कहते हैं कि अप्रशिक्षित व्यक्ति किसी भी नागरिक के लिए जान का खतरा हो सकता है।




शिक्षकों को सर्वे पर भेजने से पहले फेस मास्क, सैनिटाइजर, चिकित्सा उपकरण, पीपीई किट आदि कुछ भी नहीं दिया गया। यानी इस आदेश के माध्यम से ही कर्मचारियों की जान जोखिम में डाल दी गई। 




कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार इस तरह के सर्वे कार्य पर जिस पैरामेडिकल स्टाफ को भेजा जाता है वह ड्यूटी के बाद अपने परिवार के पास वापस नहीं जाता बल्कि उसे किसी होटल अथवा रेस्ट हाउस में क्वारंटाइन किया जाता है। जितने दिनों तक वह व्यक्ति ड्यूटी पर रहता है उसके 1 सप्ताह बाद तक उसे क्वारंटाइन रखा जाता है लेकिन शिवपुरी एसडीएम ने ऐसा कोई प्रबंध नहीं किया। 





सर्वे से लौट कर आने के बाद शिक्षकों का मेडिकल होना अनिवार्य है। ताकि यदि वह सर्वे के दौरान संक्रमण का शिकार हुए हैं तो उनकी जान बचाई जा सके लेकिन शिवपुरी एसडीएम ने अपने आदेश में ऐसा कोई प्रबंध नहीं किया। 





नियमानुसार बीमार एवं 50 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों को संक्रमित इलाकों में ड्यूटी पर नहीं लगाया जा सकता। एसडीएम द्वारा जारी आदेश में कर्मचारियों की आयु का कोई उल्लेख नहीं है। 




कुल मिलाकर शिवपुरी एसडीएम द्वारा जारी किया गया आदेश जल्दबाजी में लिखा गया प्रतीत होता है। बेहतर होगा कि पूरी योजना बनाकर कर्मचारियों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए नवीन आदेश जारी किए जाएं।

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