शिवपुरी। एक बार फिर वही विधायकों और सांसदों के वेतन भत्ते प्रतिवर्ष सरकार टेबिल थपथपाकर पास कर लेती है। वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों के वेतन भत्ते बढ़ाने की बजाय उनका बढ़ा हुआ डीए और वर्ष में मिलने वाली वेतनवृद्धि भी शासन ने कोरोना के नाम पर रोक रखी है। मध्यप्रदेश विधानसभा द्वारा वर्तमान और पूर्व विधायकों के वेतन भत्तों का पुनरीक्षण करने एक कमेटी का गठन किया है। इसमें विधायकों को भी शामिल किया गया है। जनप्रतिनिधियों को अपने वेतन भत्ते बढ़ाने से सरकारी खजाने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, जबकि करोडों रुपये का डीए लंबित है। उसका भुगतान सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है। कर्मचारियों का आरोप है कि जब हमारी सुविधाओं में कटौती हो रही है तो फिर विधायक सांसदों को वेतन भत्तों का लाभ क्यों? क्योंकि इनका वेतन लाखों में होता है। साथ ही इन्हें आजीवन पेंशन मिलती है। जबकि सरकारी कर्मचारियों की पेंशन एक प्रकार से शासन ने बंद कर दी गई है। इसे लेकर कर्मचारी संगठन नाराज हैं।
