पोहरी : भाजपा ने इस नेत्री को ये दिया......




राजनीतिक : व्यक्ति जब थोड़ी दौलत और शौहरत हासिल कर लेता है तो उसका मन राजनेता बनने का करने लगता है और वो स्वयं को जनसेवक कहलवाना चाहता है, ऐसा ही वाकया पोहरी की राजनीति में भी है, दरअसल सूबे की राजनीति में पोहरी की चर्चा न हो ये नामुमकिन सा लगता है,यहाँ चुनाव जातिगत आधार पर होते हैं और यही कारण है कि इस सीट पर न केवल स्थानीय नेताओं की नज़र रहती है बल्कि आसपास के क्षेत्रों के नेताओं की नज़र भी इस सीट पर रहती है ।



आज हम आपको पोहरी विधानसभा क्षेत्र की उस नेत्री के राजनीतिक कैरियर से परिचय कराते हैं जो लंबे समय से अपने लाव लश्कर के साथ ग्वालियर से पोहरी तक सिर्फ इसलिए आती हैं कि भारतीय जनता पार्टी उनको पोहरी से विधायक बनाकर सेवा का मौका दे, जनता की सेवा तो वे आज भी कर रही हैं, अपनी गाढ़ी कमाई का हिस्सा क्षेत्र की जनता के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाकर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने से लेकर आवागमन में डीजल पेट्रोल पर खर्च कर रही हैं।



वे जनता में जनसेवा के कार्यों से अपनी राजनीतिक बिसात बिछा रहीं हैं, बड़े नेताओं के क्षेत्र आगमन पर बड़े बड़े होर्डिंग बैनर से गली चौराहों को पाट रही हैं तो विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का झंडा हाथ में लेकर जनता के पैर इसलिए पकड़ रही है कि पार्टी उनकी मेहनत और जनसेवा के प्रति समर्पण भाव को देखकर एक बार विधायक बनने का मौका अवश्य देगी। 



लेकिन पिछले ढाई दशक से अधिक बीत जाने के बाद भी विधायक का टिकिट तो दूर पार्टी ने मंडल से लेकर प्रदेश संगठन की कार्यकारिणी में उन्हें कोई ऐसे पद से भी नहीं नवाजा कि वे नेताओं के लिए बनने वाले बड़े बड़े होर्डिंग्स और सोशल मीडिया पर लगने वाले दैनिक पोस्टर पर अपने नाम के साथ लिख सकें, सवाल उठता है कि क्या इन नेत्री को निकट भविष्य में कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी या फिर पार्टी तक इनके प्रकल्पों की फाइल नहीं है, या फिर इतर इन सबके ये नेत्री अपने कामों से लेकर स्वयं की क्षेत्र में ब्रांडिंग नहीं कर पा रही हैं । 


भले ही इन नेत्री ने भाजपा का झंडा बुलंद करने में कोई कसर न छोड़ी हो लेकिन पार्टी ने इन्हें रत्ती भर भी तवज्जों नहीं दी,कारण कुछ भी रहा हो । कहने वाले कहते हैं कि लाख सक्रिय रहीं हैं लेकिन क्षेत्र में चुनावी बरसात में केवल मेढक की तरह नज़र आती हैं फिर चुनाव खत्म होते ही वातानुकूलित घर में कैद हो जाती हैं और अपने व्यवसाय में व्यस्त हो जाती हैं ।

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