कोटा (राज)-आर.के.पुरम स्थित श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ दिगम्बर जैन मंदिर , त्रिकाल चौबीसी में परम पूज्य आचार्य श्री 108 सुनील सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री 108 सम्बुद्ध सागर जी व सक्षम सागर जी के सानिध्य में आचार्य श्री 108 आदिसागर जी महाराज का आचार्य
पदारोहण दिवस, श्रुत पंचमी एवम केश- लोच कार्यक्रम संपन्न हुआ।
श्रद्धा भक्ति और समर्पण के साथ हर्षोल्लास के मंगलमय वातावरण में यह आयोजन सानंद सम्पन्न हुआ। मंदिर समिति कोषाध्यक्ष श्री सूरजमल जैन एवम महामंत्री श्री राजेश खटोड़ ने जानकारी देते हुवे बताया कि प्रातः 6:30 बजे से अभिषेक एवम विश्व मे शांति की भावना से शांतिधारा भैया जी के द्वारा करवाई गई।
वही मुख्य सयोंजक चन्देश हरसौरा ने बताया कि प्रातः मुनि श्री 108 सक्षम सागर जी महाराज का केश लोच हुआ। और जिनवाणी पूजन की गई । धर्म सभा मे शास्त्र भेट भी किये गए।
इसके उपरान्त आचार्य श्री108 आदि सागर जी महाराज का पदारोहण दिवस व विनयांजलि सभा का आयोजन भी किया गया।
इस अवसर पर श्री राजमल पाटौदी ने विनयांजली सभा को संबोधित करते हुये कहा कि परम पूज्य आचार्य 108 सन्मति सागर जी महाराज इस युग के तपस्वी साधक है उन्होंने रामगंजमंडी में सम्पूर्ण चातुर्मास काल मे मात्र 17 दिन आहार लिया था। वे तप त्याग और साधना की साक्षात मूर्ति थे।
इस अवसर पर मुख्य सयोंजक ने अपने उदबोधन में कहा कि द्वय मुनि का पावन सानिध्य 17 दिन तक आर के पुरम जैन समाज को मिला।
जो मर्द होता है उसे डर नही होता सक्षम सागर जी
इस अवसर पर मुनि श्री सक्षम सागर जी महाराज ने धर्म सभा मे कहा कि जो मर्द होता है उसको दर्द नही होता। दुनिया रेन बसेरा है एक दिन छोड़ कर जाना है। जीवन मे संयम को धारण करना चाहिए।
स्व को जानो पर को छोड़ो सम्बुद्ध सागर जी
इस अवसर पर मुनि श्री सम्बुद्ध सागर जो महाराज ने धर्म सभा मे कहा कि स्व को जानो पर को छोड़ो संसार मे सार को जान लो असार छोड़ दो। आत्मा में अनन्त ज्ञान दर्शन सुख वीर्य शक्ति विधमान है । जो संसार मे सुख होता तो जितने भी तीर्थंकर हुये वो राजसी वैभव राजा महाराज का पद छोड़कर वन की ओर गमन क्यों कर गये कभी विचार किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी
