धार्मिक भावना के साथ साहस व रोमांच से भरा है सम्मेद शिखर जी पारसनाथ पर्वत की यात्रा, हर साल यहां आते हैं हजारों श्रद्धालु

प्राकृतिक सुंदरता लोगों का मन मोह लेती है
पारसनाथ-विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखर जी पारसनाथ पर्वत की यात्रा धार्मिक भाव से परिपूर्ण होने के साथ-साथ साहस और रोमांच से भरा हुआ है। 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों का मोक्ष प्राप्ति स्थल होने के कारण इसे   तीर्थराज की संज्ञा भी दी जाती है। अपनी उंचाई और प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह पर्वत सभी को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है। 
धार्मिक महत्व, उंचाई और प्राकृतिक सुंदरता के कारण इस क्षेत्र से गुजरने वालों को यह पर्वत अपनी गोद में आने का आमंत्रण देता प्रतीत होता है। धार्मिक महत्व के साथ-साथ इस पर्वत की सुंदरता और प्राकृतिक दृश्य अद्वितीय है।
          एक विवरण 
पारसनाथ पर्वत गिरिडीह और धनबाद जिला के 1687 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ 
है। समुद्र तल से इसकी उंचाई 1365 मीटर है। प्राकृतिक जड़ी बुटी, वन्य जीवों, जंगलों, घाटियों और पहाड़ियों की विशाल श्रृंखला नयनप्रिय प्राकृतिक दृश्यों एवं जैन मंदिरों व टोंक का वैभवपूर्ण संसार है पारसनाथ पर्वत। वर्षा ऋतु के समय इस पहाड़ की सुंदरता उस समय और बढ़ जाती है जब बादलों का टुकड़ा इसकी हरी भरी धाटियों में उतर कर अठखेलियां करता है। इस मौसम में अधिकांश समय यह पहाड़ बादलों की सफेद चादर ओढ़े रहता है। इसकी चोटी पर भगवान श्री पाश्र्वनाथ का प्राचीन मंदिर है। लगभग सात किमी की खड़ी चढ़ाई की यात्रा पुरी करने के बाद यहां पहुंचकर यात्री भाव विह्वल हो जाते हैं। यहां बहने वाली शीतल हवा मन को सकुन और थकान को राहत पहुंचाती है। समुद्र तल से 1365 मीटर की उंचाई होने के कारण गर्मी के मौसम में भी रात को उनी कपड़े और कंबल की आवयकता होती है।
पारसनाथ पर्वत तीन पहाड़ियों की एक लंबी श्रृंखला है। इन पर्वत श्रृंखलाओं की उंची-उंची चोटियों पर तीर्थंकरों के चरण टोंक हैं। पर्वत की नौ किमी की परिधि में फेले इन टोंकों में पाशर्वनाथ टोंक सबसे उपर स्थित है। श्री सम्मेद शिखर में गौतम स्वामी टोंक, चन्द्र प्रभु टोंक, अरहनाथ टोंक, भगवान कुंभनाथ टोंक, श्रेयांस नाथ टोंक, नेमिनाथ टोंक, मल्लिनाथ टोंक, धर्मनाथ टोंक, संभवनाथ टोंक, वासुनुज्य टोंक, अभिनंदन नाथ टोंक, अजितनाथ टोंक, नमिनाथ टोंक, शांतिनाथ टोंक, पाशर्वनाथ टोंक आदि स्थित है। पारसनाथ पर्वत की तलहटी में बसे धर्मनगरी मधुबन से जैन तीर्थ यात्री तीर्थंकरों के चरण टोंक के दर्शन के लिए पर्वत की यात्रा शुरू करते हैं। शारीरिक रूप से कमजोर व पैदल नहीं चल सकने वालों के लिए यहां डोली की व्यवस्था है।
             संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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