
जितेंद्र गोस्वामी बदरवास। 1 जून से अनलॉक होते ही अब रेत माफिया भी अनलॉक हो गया है खनन के खेल में शामिल रेत माफियाओं ने सिंध के घाटों को खोखला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जहां जिसके जैसा मन में आया सिंध के घाटों से बालू रेत की खुदाई कर रहे है आपको बता दें कि चितारा, ऐनवारा, सड़, रिजौदी, घुरवार, रेंझा आदि घाटों से रेत का अबैध खनन सालों से चल रहा है।
खनन माफियाओं इतने एक्टिंग है कि पुलिस और तहसीलदार की गाड़ी देखने आदमी लगा रखे हैं जो पल-पल की खबर मोबाइल पर रेत माफियाओं के देते रहते हैं। इस खुदाई के दौरान खनिज विभाग ने भी कभी इस ओर झांका नहीं, शासन के आदेश के बाद अभी खनन पर रोक तो लगी हुई है,लेकिन खुदाई का काम बदस्तूर जारी है। जब कभी शिकायत होती है तो खनिज विभाग जागता है और औपचारिकताओं के नाम पर दो-चार कार्रवाई कर अपना पल्ला झाड़ लेता है। इसके बाद कोई सुध लेने वाला नहीं रहता।
शासन के आदेश के बाद जब रेत खनन पर रोक लगी तो पूर्व में कलेक्टर ने अधिकारियों की बैठक लेकर निर्देश दिए थे कि जहां भी निर्माण कार्य हो रहे हैं वहां जाकर रेत कहां से लाई जा रही है। इसकी जांच की जाए। निर्माण कार्य करवाने वाले व्यक्ति के पास बालू रेत लाने रॉयल्टी की कॉपी नहीं मिलने पर कलेक्टर ने बैठक के दौरान कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
इस दिशा में भी अब तक न तो संबंधित विभाग ने कोई कार्रवाई की और ना ही अन्य किसी अधिकारी ने। कलेक्टर के निर्देश के बाद भी नगर व जिले में कई जगहों पर बालू रेत पहुंच रही है और निर्माण कार्य धड़ल्ले से हो रहे हैं। जब रेत खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा है तो आखिर से रेत आ कहां से रही है और कौन इसे सप्लाय कर रहा है,ये बड़ा सवाल है।
खनिज विभाग की भूमिका भी संदेह के घेरे में
रेत खनन के मामले में बेधड़क चल रहे काम को देखते हुए तो खनिज विभाग की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा खनन सभी को दिखाई दे रहा है। रेत से भरे वाहन भी प्रतिदिन सड़कों से गुजरते हैं,लेकिन विभाग ने आंखे मूंद रखी हैं। कई बार जब ग्रामीण शिकायत करते हैं तो खनिज विभाग के अमले के पहुंचने से पहले ही खनन माफिया वहां से रवाना हो जाते हैं।
इनके पहुंचने से पहले ही खनन माफियाओं तक सूचना पहुंच जाती है। जब विभाग के जिम्मेदार कार्रवाई के लिए जाते हैं तो आखिर उनके पूर्व सूचना पहुंचाने वाले कौन हैं? इनपर मामला दर्ज होना चाहिए।
ग्रामीण अरविन्द्र यादव का कहना हैं कि रॉयल्टी बंद होने के बाद सिंध नदी से रात में अवैध रेत निकालकर गांवों में सप्लाई करने जाते है बरसात के मौसम को आता देख रेत डंप की जा रही है।