पोहरी-मध्य प्रदेश की पोहरी विधानसभा सीट पर लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है । यहां पर किसी भी दल से दो बार लगातार विधायक नहीं बना लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने अपना दो बार विधायक बना कर एक नया इतिहास रचा, इसके बाद भी करीब ढाई दशक बाद कांग्रेस ने अपना वनवास पूरा किया और विधायक की कुर्सी को भारतीय जनता पार्टी से हथिया लिया । पिछले वर्ष कोरोना काल में हुए सत्ता के फेरबदल में कांग्रेस के विधायक ने अपने राजनीतिक आका महाराज के साथ पाला बदलकर कांग्रेस के हाथ को झटक कर कमल दल में शामिल हो गए ,लेकिन कांग्रेस विधायक के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अपना अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले जीत भी हासिल की वह भी बड़े अंतर से । इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर पीडब्ल्यूडी राज्य मंत्री भी बना दिया और पोहरी को पहली बार मंत्री पद से नवाजा गया ।
पोहरी के राजनीतिक गलियारों में एक विशेष चर्चा आजकल हो रही है कि सिंधियाई नेता के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद मूल भाजपाई क्षेत्र की राजनीति से लगभग गायब दिखाई देते हैं, ऐसा नहीं कि इन गायब होने वाले भाजपाइयों में नए नवेले ही नेता शामिल हैं, इनमें एक पूर्व विधायक पंडित जी भी शामिल है जो संगठन की राजनीति में अपना एक अहम कदम रखते हैं लेकिन विधानसभा क्षेत्र में कम ही दिखाई पड़ते हैं । इसके अलावा सहज, सरल व्यवहार के एक पूर्व विधायक भी लगभग अपने आप को ठगा महसूस करने लगे हैं फिर भी यदा-कदा क्षेत्र में देखे जाते हैं यह वही सहज, सरल पूर्व विधायक हैं समाज सेवा से अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने वाली एक नेत्री हैं
इन सब नेताओ को उन्हें सिंधियाई नेता के भाजपा में शामिल होने के बाद अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सताने लगी है
कुछ नेता ने आलाकमान के निर्देश पर उपचुनाव में कुछ दिन भाजपा का झंडा लेकर कमल दल के लिए वोट मांगते हुए क्षेत्र में दिखाई दे गईं थीं, उसके बाद फिर कोप भवन में चली गई हैं शायद उन्हें सिंधियाई नेता के आने से अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सताने लगी है ।
