जो है प्रकाश पुंज वीतराग ज्ञान में
इंसानियत जगाई तुमने संविधान में
अवतार महावीर के हो वर्तमान में
कुंद से दिगंबर ज्ञान समुंदर होय
विद्यासागर वसुंधरा पर मेरे गुरुवर होय
भु नभ से भी विशाल होकर सबको समा लिया
सदाचरण से ऊंचे पहुंचे हिमगिरी हरा दिया
जैन धर्म की पावन गंगा जग पावन कर दो विधासागर वसुंधरा पर मेरे गुरुवर होय
मन का संयम वचनों कायम तन का संयम डोल
रसना संयम दृष्टि संयम इन्द्रिय संयम डोल
संयंम के भंडार हो गुरूवर तुम जैसा कर दो
विद्यासागर वसुंधरा पर मेरे गुरुवर होय
महावीर की त्याग तपस्या तुमसे है जानी
शास्त्रों के शब्दों की समता तुमसे है मानी
तुम चारित्र के प्रखर सूर्य हो ज्ञान ज्योति वर दो
विद्यासागर वसुंधरा पर मेरे गुरुवर होय
महावीर की त्याग तपस्या तुमसे है जानी
शास्त्रो के शब्दों की क्षमता तुमसे है मानी
तुम चारित्र के प्रखर सूर्य हो ज्ञान ज्योति वर दो विद्यासागर वसुंधरा पर मेरे गुरुवर होय
जिनशासन की स्वाति बून्द से बने आप मोती
तेरे आगे चाँद सूर्य की फीकी है ज्योति
ज्ञान सिंधु को मथ कर पाया तुम जैसा कर दो विद्यासागर वसुंधरा पर मेरे गुरुवर होय
अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
